पांडवों ने रामनगर के विराटनगर में गुजारा था अज्ञातवास, भीम ने स्थापित किया था शिव लिंग
जैव विविधता के लिए काॅर्बेट पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। मगर कार्बेट से सटा ढिकुली अपनी पुरानी पहचान पर्यटन के मानचित्र पर आज तक नहीं ला सका है। ढिकुली कभी पांडव काल का विराट नगर था।

रामनगर, जागरण संवाददाता : जैव विविधता के लिए काॅर्बेट पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। मगर कार्बेट से सटा ढिकुली अपनी पुरानी पहचान पर्यटन के मानचित्र पर आज तक नहीं ला सका है। ढिकुली कभी पांडव काल का विराट नगर था। यहाँ मौजूद पांडव कालीन शिव मंदिर को न तो पर्यटन के रूप में और न ही धार्मिक स्थल के रूप में पहचान मिल सकी। प्रचार-प्रसार के अभाव में पांडव कालीन शिव मंदिर आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
क्या है विराट नगर का इतिहास
किवदंती है कि आज का ढिकुली गाँव यही वह विराट नगरी है जहाँ कुरु वंश के राजा राज्य किया करते थे। यह कुरु राजा प्राचीन इन्द्रप्रथ (आधुनिक दिल्ली) के साम्राज्य की छत्रछाया में राज्य किया करते थे। यही पर पांडवों ने कौरवों से छिपते हुए एक साल का अज्ञातवास बिताया था। पांडव कालीन शिव मंदिर ढिकुली के पश्चिम की ओर पहाड़ियों में पांडवों द्वारा बनाया गया था। जिसे लोग गरल कंठेश्वर महादेव के नाम से पुकारते है। मंदिर में स्थापित शिव लिंग की स्थापना पांडव पुत्र भीम ने की थी। ढिकुली निवासी संजय छिमवाल बताते हैं कि मन्दिर के आसपास खुदाई के दौरान ग्रामीणों को पांडव कालीन कई कलाकृतियां मिलीं। जिन्हें कुछ लोगों ने सहेजकर अपने घरों में रखा है।
पुरातत्व विभाग के आधीन है मन्दिर
गरल कंठेश्वर महादेव मंदिर पुरातत्व विभाग के आधीन है। लेकिन पूर्व प्रधान राकेश नैनवाल कहते हैं कि पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते मन्दिर आज भी उपेक्षित है। पुरात्तव विभाग न तो खुद इसपर काम करता है और न ही ग्रामीणों को मन्दिर के लिये कुछ काम करने की अनुमति देता है। यदि इसका ब्यापक प्रचार प्रसार किया जाए तो यह पर्यटन के मानचित्र में अपनी पहचान बना सकता है। ढिकुली गांव में गरल कंठेश्वर महादेव का पांडव कालीन मन्दिर भी है। जिसकी जानकारी पर्यटकों को नहीं है।
विराटनगरी में दर्जनों रिसॉर्ट
प्राचीन विराट नगर यानी आज के ढिकुली गाँव में आज साठ से भी अधिक आलीशान रिसोर्ट बन चुके हैं। अफसोस जनक यह है कि कार्बेट के नाम पर वह जंगलों में भ्रमण तो करते गए लेकिन जिस जमीन पर वह अपना ब्यवसाय कर रहे हैं उसके ऐतिहासिक महत्व को जानते तक नहीं। रिसोर्ट और पर्यटन विभाग मिलकर ढिकुली के ऐतिहासिक महत्व प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

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