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गोबिंद बल्लभ पंत कृषि विश्‍वविद्यालय में किताबी ज्ञान को तजुर्बे से तराशेंगे पद्मश्री nainital news

कहते हैं कि किताबी ज्ञान से ज्यादा अहमियत तजुर्बे का होता है। इसे गोबिंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने माना और अब अपने छात्रों को भी इसकी सीख देगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 11:09 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 11:09 AM (IST)
गोबिंद बल्लभ पंत कृषि विश्‍वविद्यालय में किताबी ज्ञान को तजुर्बे से तराशेंगे पद्मश्री nainital news

रुद्रपुर, अरविंद कुमार सिंह : कहते हैं कि किताबी ज्ञान से ज्यादा अहमियत तजुर्बे का होता है। इसे गोबिंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने माना और अब अपने छात्रों को भी इसकी सीख देगा। माध्यम बनेंगे कृषि क्षेत्र के पद्मश्री। गांव की परेशानी और किसानों की दिक्कत को सामने रख समाधान का तरीका बताएंगे। अपने कार्यों को भी साझा करेंगे। इसके लिए बिहार की किसान चाची पद्मश्री राजकुमारी देवी व ओडिशा के गोवर्धन पनिका की मदद ली जाएगी। ये समय-समय पर छात्रों को अपने तजुर्बे से तराशते रहेंगे। दोनों 20 फरवरी को विश्वविद्यालय में पहुंच भी रहे हैं।  

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किताबों के साथ तजुर्बे का भी होगा ज्ञान

पूरे एशिया में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की अपनी अलग पहचान है। यहां फल, सब्जी व अनाज की नई प्रजातियों के साथ ही कृषि से जुड़े उपकरण भी ईजाद किए जाते हैं। अब विश्वविद्यालय ने छात्रों को किताबी ज्ञान से इतर वास्तविक हालात से भी रूबरू कराने का फैसला किया है। राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत गांव के विकास, खेती से जुड़ी समस्या, उत्पादों की बिक्री और फसल प्रबंधन भी सिखाया जाएगा। 

राजकुमारी देवी

घर की दहलीज के पार खेत में कदम रख बिहार के सरैया प्रखंड के आनंदपुर गांव की राजकुमारी देवी पहले साइकिल चाची और फिर किसान चाची बनीं।  किसानश्री के बाद अब पद्मश्री से नवाजा गया है। उनके घर का कोना-कोना कृषि उत्पादों से अटा पड़ा है। आम, अदरक, ओल के अचार तो आंवला व बेल के मुरब्बे की खुशबू आपको बरबस यहां खींच लेगी। छोटी सी किसानी से भी परिवार कैसे खुशहाल हो सकता है, राजकुमारी देवी का घर इसकी मिसाल है। 

गोवर्धन पनिका

ओडिशा के ग्राम कोटपड में जन्मे गोवर्धन पनिका की 12 वर्ष की उम्र में ही पढ़ाई छूट गई थी। पनिका को गांव में पारंपरिक हैंडलूम के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य पर पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया। ग्रामीणों को सूत कताई के उद्योग से जोड़ा। वर्ष 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.  एपीजे अब्दुल कलाम ने नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया।

पढ़ाई के बाद छात्र गांवों के विकास में देंगे योगदान

परियोजना अधिकारी पंत विवि डॉ. शिवेंद्र कुमार कश्यप ने बताया कि पद्मश्री राजकुमारी देवी व गोवर्धन पनिका छात्रों की क्लास लेंगे। गांवों के परिदृश्य समझाने के साथ विकास के गुर भी सिखाएंगे। इससे पढ़ाई के बाद छात्र गांवों के विकास में योगदान दे सकेंगे। पहले चरण में दोनों विशेषज्ञ के रूप में छात्रों से अपना तजुर्बा साझा करेंगे। इसके बाद कृषि के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर काम करने वाले दूसरे लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा।    

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