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    मां लक्ष्मी की सवारी उल्लू पर दीवाली में मंडराता है खतरा, उत्‍तराखंड में बढ़ाई सुरक्षा

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 06:55 PM (IST)

    दीपावली के नजदीक आते ही उल्लुओं की सुरक्षा एक चिंता का विषय बन जाती है। अंधविश्वास के चलते कुछ लोग उल्लुओं की बलि देते हैं या उन्हें पकड़कर पूजा करते हैं, क्योंकि वे मां लक्ष्मी का वाहन माने जाते हैं। कानूनी रूप से शिकार प्रतिबंधित होने के बावजूद, तस्करी का खतरा बढ़ जाता है। वन विभाग ने कार्बेट टाइगर रिजर्व में निगरानी बढ़ा दी है, क्योंकि यहाँ उल्लुओं की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो वन्य जीव अधिनियम के तहत संरक्षित हैं।

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    अंध विश्वाास व मान्यता की वजह से होती है उल्लुओं की तस्करी। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, रामनगर। दीपावली का पर्व करीब आते ही जंगल में उल्लुओं की जान पर खतरा बना रहता है। कार्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर वन प्रभाग व तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में उल्लुओं की सुरक्षा को लेकर निगरानी बढ़ा दी गई है। कार्बेट व वन विभागों में रेंज के स्टाफ को गश्त तेज करने व उल्लुओं की मौजूदगी वाली जगह में निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।

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    दरअसल दीपावली पर कुछ लोग अंधविश्वास के चलते उल्लू की बलि देकर कई तरह के अनुष्ठान कर अपने हित साधने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा कई लोग उल्लू को पकड़कर दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के साथ उसकी पूजा भी करते हैं। भारत में हिंदू मान्यता के अनुसार यह धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है। त्योहार पर इसकी मांग होने की वजह से उल्लू की तस्करी का खतरा बढ़ जाता है। यह हाल तब है जब उल्लुओं के शिकार पर कानूनी पाबंदी है।

    कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डा. साकेत बडोला ने बताया कि जिन क्षेत्रों में उल्लूओं के वास स्थल हैं, वहां निगरानी के निर्देश दिए हैं। अभी तक इनके शिकार या तस्करी की घटना सामने नहीं आई है। दीपावली के समय इनकी तस्करी का खतरा रहता है।

    संरक्षित प्रजाति है उल्लू

    उल्लू भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित है। इसके शिकार में पकड़े जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है। इनको पालना व शिकार करना प्रतिबंधित है। वन्य जीवों के अंगों के व्यापार को रोकने काले ट्रैफिक संगठन के मुताबिक दुनिया में मिलने वाली 250 प्रजाति में से 36 भारत में मिलती है।

    रामनगर के पक्षी विशेषज्ञ दीप रजवार व संजय छिम्वाल बताते हैं कि 16 प्रजाति कार्बेट टाइगर रिजर्व व उसके आसपास के जंगल में पाई जाती है। पूरे उत्तराखंड की बात करें तो उल्लू की 19 प्रजातियां चिह्नित की गई हैं।

    कार्बेट के आसपास पाई जाने वाली उल्लू की प्रजाति

    कार्बेट के आसपास ब्राउन फिश, इंडियन आउल, टाउनी फिश आउल, स्पाट बैलिड ईगल आउल, स्काप आउल, ब्राउन हाक, ब्राउन वुड, जंगल आउलेट, स्पोटेड आउलेट जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं। दीप रजवार बताते हैं कि इन प्रजातियों में स्पाट बैलिड आउल ईगल दुर्लभ प्रजाति है।