गर्मी बढ़ने के साथ ही गौला का जलस्तर घटा, हल्द्वानी में पेयजल संकट, जानिए
गर्मी बढ़ने के साथ ही गौला का जलस्तर तेजी से कम हो रहा है। हल्द्वानी की लाइफलाइन गौला में मात्र 70 क्यूसेक पानी रह गया है।
हल्द्वानी, जेएनएन : गर्मी बढ़ने के साथ ही गौला का जलस्तर तेजी से कम हो रहा है। हल्द्वानी की लाइफलाइन गौला में मात्र 70 क्यूसेक पानी रह गया है। इसमें से 30 क्यूसेक जलसंस्थान को देने के बाद मात्र 40 क्यूसेक ही शेष बच रहा है। इस पानी से हल्द्वानी, गौलापार और लालकुआं तक खेतों की सिंचाई मुश्किल हो गई है। टेल के इलाकों में सिंचाई नहीं होने से खेत सूख रहे हैं।
गौला के पानी पर हल्द्वानी की जलापूर्ति के साथ ही कालाढूंगी रोड पर लामाचौड़ तक, गौलापार क्षेत्र, बरेली रोड पर लालकुआं तक व रामपुर रोड पर बेलबाबा तक की भूमि की सिंचाई निर्भर है। प्री मानसून की बारिश में कमी आने से गौला में पानी तेजी से सूखता जा रहा है। बैराज के कर्मचारियों के मुताबिक नदी में मात्र 70 क्यूसेक पानी शेष रह गया है। इसमें से 30 क्यूसेक पानी जलसंस्थान को दिया जाता है। फिर 40 क्यूसेक पानी शेष रहने से सिंचाई पर संकट गहराता जा रहा है। सिंचाई विभाग के सूत्रों के मुताबिक गर्मियों की शुरुआत से ही रोस्टर के हिसाब से नहरों में पानी दिया जा रहा था। गौलापार, लामाचौड़, लालकुआं व रामपुर रोड की नहरों में रोस्टर के हिसाब से पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं, 40 क्यूसेक पानी रहने से यह टेल के इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इससे टेल के इलाकों में सिंचाई व्यवस्था ठप है। सूत्र बताते हैं कि सभी नहरों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 200 क्यूसेक से अधिक पानी की जरूरत होती है। बरसात नहीं हुई तो फसलें होंगी प्रभावित सिंचाई विभाग के सूत्र बताते हैं कि यदि जल्द बरसात नहीं हुई और गौला का जलस्तर नहीं बढ़ा तो फसलें प्रभावित हो सकती हैं। खेतों के सूखने से किसान फसलें नहीं बो पा रहे हैं। प्री मानसून की बारिश में कमी ने सिंचाई विभाग के अफसरों की चिंता और बढ़ा दी है।
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गौला के पानी पर हल्द्वानी की जलापूर्ति के साथ ही कालाढूंगी रोड पर लामाचौड़ तक, गौलापार क्षेत्र, बरेली रोड पर लालकुआं तक व रामपुर रोड पर बेलबाबा तक की भूमि की सिंचाई निर्भर है। प्री मानसून की बारिश में कमी आने से गौला में पानी तेजी से सूखता जा रहा है। बैराज के कर्मचारियों के मुताबिक नदी में मात्र 70 क्यूसेक पानी शेष रह गया है। इसमें से 30 क्यूसेक पानी जलसंस्थान को दिया जाता है। फिर 40 क्यूसेक पानी शेष रहने से सिंचाई पर संकट गहराता जा रहा है। सिंचाई विभाग के सूत्रों के मुताबिक गर्मियों की शुरुआत से ही रोस्टर के हिसाब से नहरों में पानी दिया जा रहा था। गौलापार, लामाचौड़, लालकुआं व रामपुर रोड की नहरों में रोस्टर के हिसाब से पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं, 40 क्यूसेक पानी रहने से यह टेल के इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इससे टेल के इलाकों में सिंचाई व्यवस्था ठप है। सूत्र बताते हैं कि सभी नहरों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 200 क्यूसेक से अधिक पानी की जरूरत होती है। बरसात नहीं हुई तो फसलें होंगी प्रभावित सिंचाई विभाग के सूत्र बताते हैं कि यदि जल्द बरसात नहीं हुई और गौला का जलस्तर नहीं बढ़ा तो फसलें प्रभावित हो सकती हैं। खेतों के सूखने से किसान फसलें नहीं बो पा रहे हैं। प्री मानसून की बारिश में कमी ने सिंचाई विभाग के अफसरों की चिंता और बढ़ा दी है।
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