अफसरों पर फिर लगा एक लाख का जुर्माना, जानिए क्यों
हार्इकोर्ट में स्पेशल अपील दायर होने पर कोर्ट ने एक बार फिर अधिकारियों पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद करने पर यह फैसला दिया गया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: वर्कचार्ज की अवधि को पेंशन से नहीं जोड़ने के मामले में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ स्पेशल अपील दायर करने पर हाई कोर्ट ने एक बार फिर अधिकारियों पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद करने पर यह फैसला दिया गया है। सोमवार को भी कोर्ट ने ऐसे ही मामले में अधिकारियों पर एक लाख का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सर्विस को पेंशन से जोड़ने के आदेश पारित किए हैं।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ में भीमताल निवासी देवीदत्त के मामले में दायर विशेष अपील पर सुनवाई हुई। देवीदत्त ने याचिका दायर कर कहा था कि वह 2013 में लोक निर्माण विभाग भवाली से 30 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत हुए। सेवाकाल की अवधि को विभाग द्वारा पेंशन से नहीं जोड़ा गया। याचिका में वर्कचार्ज में की गई सेवा को पेंशन व अन्य लाभ देने की प्रार्थना की गई थी। एकलपीठ ने पिछले साल 22 दिसंबर को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को सेवाकाल की पेंशन लाभ देने के आदेश पारित किए थे।
एकलपीठ के आदेश को सरकार द्वारा विशेष अपील दायर कर चुनौती दी गई। खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता से संबंधित मामला हबीब खान बनाम सरकार में सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्णय दे चुका है। जिसमें कहा गया है कि वर्कचार्ज की अवधि को पेंशनर लाभों से जोड़ा जाए, मगर सरकार द्वारा पेंशन के लाभों से नहीं जोड़ा गया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि संविधान के अनुच्छेद-141 में सुप्रीम कोर्ट का हबीब खान से संबंधित आदेश बाध्यकारी है। इसलिए विशेष अपील का औचित्य नहीं है। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार की विशेष अपील खारिज करने के साथ ही विशेष अपील दायर करने वाले अधिकारियों पर एक लाख का जुर्माना लगा दिया।
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