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    एक नहीं चम्पावत में जिम कार्बेट ने किया था सात नभक्षी बाघों का शिकार, अब तक सिर्फ एक बाघिन के मारे जाने का होता है जिक्र

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Sat, 20 Mar 2021 05:33 PM (IST)

    अब तक जिम कार्बेट द्वारा एक नरभक्षी बाघिन के मारे जाने का जिक्र होता आया है। जिम कार्बेट के जीवन पर शोध करने वालेलोहाघाट निवासी बीसी मुरारी का दावा है कि जिम कार्बेट ने जिले के विभिन्न स्थानों पर सात नरभक्षी बाघों को मारा था।

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    जिम कार्बेट द्वारा मारे गए ये सभी बाघ अपने इलाके में दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार चुके थे।

     

    विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत : प्रसिद्ध अंग्रेज शिकारी जिम कार्बेट ने चम्पावत जिले में एक नहीं बल्कि सात नरभक्षी बाघों को मौत के घाट उतारा था। अब तक जिम कार्बेट द्वारा एक नरभक्षी बाघिन के मारे जाने का जिक्र होता आया है। जिम कार्बेट के जीवन पर शोध करने वाले शिक्षा जगत से जुड़े व प्रकृति प्रेमी लोहाघाट निवासी बीसी मुरारी का दावा है कि जिम कार्बेट ने जिले के विभिन्न स्थानों पर सात नरभक्षी बाघों को मारा था। जिम कार्बेट ने नरभक्षी बाघों के शिकार की शुरूआत वर्ष 1907 में चम्पावत जिले से ही की थी और वर्ष 1938 में इस कार्य को छोड़कर वन्य जीवों पर आधारित फोटोग्राफी करनी शुरू कर दी।

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    बीसी मुरारी ने बताया कि उन्होंने उन चार जगहों को ढूंढ लिया है जहां जिम कार्बेट ने नरभक्षी बाघों का शिकार किया था। दो अन्य जगहों की तलाश जारी है। अब तक अधिकांश लोग जिम कार्बेट को एक ही खूंखार नरभक्षी बाघिन के शिकारी के रूप में जानते थे। उन्होंने बताया कि चम्पावत के बाघ बरूड़ी के अलावा जिम ने गुरु गोरखनाथ और पूर्णागिरि के बीच पांच तथा अल्मोड़ा जिले से सटी चम्पावत जिले की सीमा पर पनार के पास एक नरभक्षी बाघ का शिकार किया था। जिम कार्बेट द्वारा मारे गए ये सभी बाघ अपने इलाके में दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार चुके थे। उन्होंने बताया कि वे जल्द ही बाघों के मारे गए स्थान की सटीक जानकारी लोगों के सामने रखेंगे। उनका कहना है कि बूम मोटरमार्ग से होते हुए सेलागाड़ से ट्रेकिंग हाईकिंक शुरू की जाए तो जिले को विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान दिलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बूम से कोट केन्द्रीय और टाक होते हुए चूका तक के इस ट्रेकिंग रूट की लंबाई घने जंगलों से होते हुए 21 किमी है। उन्होंने बताया कि इसी जगह में विश्व विख्यात मेन इटर ऑफ  टाक का स्थान है जहां से जिम कॉर्बेट ने अपने मेन इटर का हंटिंग कैरियर का अंत कर वन्य जीव फोटोग्राफर की दूसरी पारी की शुरूआत की थी। उनका कहना है कि अल्मोड़ा के पूरब में नेपाल सीमा से सटी हुई यह जगह भारत का सबसे उत्तम हाईकिंग ट्रेक बन सकता है जिसका उल्लेख स्वंय जिम कार्बेट ने अपनी किताब में व्यक्त किया है। मुरारी ने बताया कि पिछले पांच साल में वे कई बार 19 किमी लंबी ट्रेकिंग कर चुके हैं।

    देवीधुरा में नरभक्षी को नहीं मार पाए जिम कार्बेट

    जिम कार्बेट ने देवीधुरा में भी नरभक्षी को मारने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। बीसी मुरारी बताते हैं कि जिम ने पेड़ में बने मचान से नीचे खड़ेे बाघ को मारने के लिए चार बार बंदूक का ट्रिगर दबाया लेकिन गोली नहीं चल पाई। उन्होंने बताया कि इस घटना को देवीधुरा मंदिर के महात्म्य से जोड़ा गया है। मंदिर के पुजारी ने जिम कार्बेट से कहा था कि वह बाघ को नहीं मार पाएंगे। हुआ भी ठीक ऐसा ही, नरभक्षी को मारने में असफल रहने के बाद उन्होंने दुबारा उसे मारने का प्रयास नहीं किया।  

    नरभक्षी बाघिन के मारे जाने की सटीक जगह की पहचान कर चुके हैं मुरारी

    बीसी मुरारी चम्पावत मुख्यालय से पांच किमी दूर गौड़ी नदी के किनारे बसे चौड़ा गांव में उस स्पॉट की सटीक खोज भी कर चुके हैं जहां वर्ष 1907 में जिम कार्बेट ने नरभक्षी बाघिन को मारा था। इस स्थान को लोग बाघ बरूड़ी के नाम से जानते हैं। इस स्थान को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक वहां जा रहे हैं।

     

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