नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए दोबारा नहीं होगा चुनाव, राज्य निर्वाचन आयोग ने खारिज की पुनर्मतदान की मांग
राज्य निर्वाचन आयोग ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए पुनर्मतदान की मांग को खारिज कर दिया है। आयोग के अनुसार चुनाव विवादों के निपटारे के लिए परिणाम घोषित होने के 30 दिन के भीतर निर्वाचन याचिका दायर करना ही एकमात्र उपाय है। आयोग ने यह फैसला कांग्रेस प्रत्याशी की याचिका पर दिया है। इससे विपक्षी दलों को निराशा हाथ लगी है जो पुनर्मतदान की उम्मीद कर रहे थे।

किशोर जोशी, नैनीताल। राज्य निर्वाचन आयोग ने नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए पुनर्मतदान को नियम विरुद्ध बताते हुए इस संबंध में कांग्रेस की जिला पंचायत सदस्य पुष्पा नेगी की मांग को खारिज कर दिया है।
आयोग ने साफ किया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्वाचन और निर्वाचन विवादों का निपटारा उत्तर प्रदेश जिला पंचायत नियमावली-1994के अध्याय चार के अंतर्गत परिणाम घोषित होने के 30 दिन के भीतर निर्वाचन याचिका प्रस्तुत करना ही एकमात्र विकल्प है। आयोग की इस रिपोर्ट के बाद जिला पंचायत के लिए फिर से उम्मीद पाले विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है। अब इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी भी है।
दरअसल जिला पंचायत चुनाव के दिन 14 अगस्त को पांच सदस्यों के कथित अपहरण का मामला जोरशोर से उठा। इस मामले में भाजपा व कांग्रेस की ओर से एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया।
अपहृत सदस्यों ने वीडियो जारी कर खुद ही जाने की जानकारी दी तो सियासत करमा गयी। बवाल का हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञाल लिया तो राज्य निर्वाचन आयोग सहित जिलाधिकारी-एसएसपी से जवाब मांगा। इसी बीच कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पूरे प्रकरण की जांच के लिए कमेटी का गठन किया। जिसमें राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार अध्यक्ष तथा संयुक्त सचिव कमलेश मेहता, उपायुक्त प्रभात कुमार सिंह व सहायक आयुक्त राजकुमार वर्मा सदस्य थे। आयोग की कमेटी की ओर से जिला पंचायत सदस्य पुष्पा नेगी की ओर से दिए गए प्रत्यावेदन पर विचार किया गया।
आयोग की ओर से डीएम, एसएसपी सहित पुष्पा नेगी, पूनम बिष्ट, अध्यक्ष जिला पंचायत दीपा दर्मवाल, सदस्य डिकर मेवाड़ी, विपिन सिंह, प्रमोद सिंह, तरुण कुमार शर्मा, दीप सिंह बिष्ट को नोटिस जारी किया गया। पांच सितंबर को इन दस पक्षकारों की ओर से आयोग की कमेटी के समक्ष पक्ष रखा गया। दैनिक जागरण के पास आयोग की इस संबंध में 27 पेज की रिपोर्ट उपलब्ध है।
हमारा नहीं हुआ कोई अपहरण
नैनीताल: जिला पंचायत सदस्य प्रमोद कोटलिया सहित पांचों सदस्यों ने आयोग में बयान दर्ज कराया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के अलावा तीसरे प्रत्याशी या नोटा का विकल्प नहीं था। वह निर्दलीय जीते थे, दोनों दलों के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध अच्छे थे। वह किसी की भलाई-बुराई नहीं चाहते थे, इसलिए मतदान नहीं किया और मतदान स्थल से इच्छानुसार बिना मतदान किए चले गए, पांचों सदस्यों का ना कोई अपहरण हुआ, ना ही किसी तरह की मारपीट या जबरन घसीट कर ले जाने की कोई घटना हुई। कोई हथियारबंद बदमाश भी नहीं देखा।
आयोग ने निकाला निष्कर्ष
आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में संबंधित सभी समकालिक रिपोर्ट का गहन समग्र मूल्यांकन किया है। जिला निर्वाचन अधिकारी व एसएसपी ने मतदान केंद्र के बाहर उत्पन्न हुई कानून-व्यवस्था की स्थिति, कार्यकर्ताओं के बीच झड़प, हाथापाई तथा कानून व्यवस्था भंग होने के संबंध में आख्याएं दी हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं सहायक निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट रूप से प्रमाणित किया है कि बाहरी अशांति के बावजूद, मतदान केंद्र के भीतर की प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण, निर्बाध और नियमानुसार संचालित हुई। 27 में से 22 सदस्यों ने बिना किसी बाधा के अपना मत डाला। तथ्यात्मक एवं विस्तृत विधिक विश्लेषण के उपरांत, आयोग इस अंतिम और निष्कर्ष पर पहुंचा है कि पुनः मतदान के आदेश देने को कोई भी पर्याप्त और विधि-सम्मत आधार नहीं है।
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