बोर्ड परीक्षा छोड़ स्वीडन बॉक्सिंग में हिस्सा लेने पहुंची निवेदिता कार्की, गोल्ड जीत उत्तराखंड का मान बढ़ाया
पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना ब्लाक की नेपाल सीमा से लगा दुर्गम रणुवा गांव। इस गांव की बेटी निवेदता कार्की (Nivedita Karki) ने अपना जलवा समुद्र पार भी दिखाया। अपनी मुक्केबाजी के सपने को पूरा करने के लिए अपनी बोर्ड परीक्षा तक छोड़ दी थी।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना ब्लाक की नेपाल सीमा से लगा दुर्गम रणुवा गांव। इस गांव की बेटी निवेदता कार्की (Nivedita Karki) ने अपना जलवा समुद्र पार भी दिखाया। अपनी मुक्केबाजी के सपने को पूरा करने के लिए अपनी बोर्ड परीक्षा तक छोड़ दी थी। स्वीडन में आयोजित प्रतियोगिता में गोल्ड जीत कर गोल्डन गर्ल बन गई।
बॉक्सिंग का जुनून रखने वाली निवेदिता ने 15 वर्ष 10 माह की उम्र में अंतरराष्ट्रीय खिताब अपनी झोली में डाल कर सभी को हर्षित कर दिया। निवेदिता कार्की की पढ़ाई पिथौरागढ़ के द एशियन एकेडमी से हुई। बॉक्सिंग की बारीकियां देब सिंह मैदान में कोच प्रकाश जंग थापा से जीती।
बाद में वह आवासीय बालिका बॉक्सिंग क्रीड़ा छात्रावास की छात्रा रही। जहां पर सुनीता मेहता से प्रशिक्षण लेती रही। इसी दौरान निवेदिता का 2019 में खेलो इंडिया के तहत नेशनल एकेडमी रोहतक हरियाणा के लिए चयन हुआ।
तब वह कक्षा दस में पढ़ती थी और उसी दौरान बोर्ड की परीक्षा थी । बॉक्सिंग में भविष्य तलाश रही निवेदिता के परिवार ने भी 10 वीं की परीक्षा के स्थान पर खेल प्रशिक्षण प्राथमिकता दी । निवेदिता प्रशिक्षण के लिए रोहतक चली गई।
निवेदिता का चयन स्वीडन के बोरास में आयोजित गोल्डन गर्ल अंतरराष्ट्रीय जूनियर बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए हुआ। इस प्रतियोगिता मेंं सभी की नजर उसकी तरफ थी। जहां पर उसने 48 किलो भार वर्ग में आयरलैंड की कैरलेग मारिया को 5-0 से पराजित कर गोल्डन गर्ल का खिताब जीता।
निवेदिता की विजय का रथ यहीं पर नहीं थमा। जार्डन में आयोजित एशियन यूथ जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही निवेदिता ने 48 किग्रा भार वर्ग में उजकेबिस्तान की सेदाकोन रखमोनोवा को पराजित कर स्वर्ण पदक जीत कर अपना लोहा मनवाया।
दुबई में आयोजित प्रतियोगिता में भी पूर्व रजत पदक जीता था। इजराइल में भी गोल्डन गर्ल का खिताब जीता। निवेदिता का परिवार इस समय देहरादून में रहता है। उसके पिता बहादुर सिंह कार्की इंदिरा गांधी एयरपोर्ट इमीग्रेशन ऑफीसर पद पर हैं और मां पुष्पा कार्की गृहिणी है।
दुर्गम गांव निवासी निवेदिता ने यह साबित किया है कि लगन और परिश्रम से सबकुछ हासिल किया जा सकता है। निवेदिता का लक्ष्य भविष्य में ओलंपिक तक पहुंचने का है। जिसके लिए वह जी तोड़ मेहनत कर रही है।
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