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कालापानी में सैनिकों के लिए सुविधाएं बढ़ा रहा नेपाल, छावनी निर्माण को नक्शा तैयार

गर्बाधार-लिपुलेख सड़क को अतिक्रमण बताने वाला नेपाल अब कालापानी क्षेत्र के छांगरु में स्थायी रूप से 160 सैनिकों की टुकड़ी तैनात करेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 07:25 PM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 10:33 AM (IST)
कालापानी में सैनिकों के लिए सुविधाएं बढ़ा रहा नेपाल, छावनी निर्माण को नक्शा तैयार

हल्द्वानी, अभिषेक राज। गर्बाधार-लिपुलेख सड़क को अतिक्रमण बताने वाला नेपाल अब कालापानी क्षेत्र के छांगरु में स्थायी रूप से 160 सैनिकों की टुकड़ी तैनात करेगा। अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 12 किमी दूर छावनी का निर्माण भी होगा। इसके लिए गुरुवार शाम गृह मंत्री के रक्षा सलाहकार इंद्रजीत राई कालापानी क्षेत्र में बनी नेपाली सशस्त्र बल की अस्थायी बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) में डटे रहे।

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जमीन का सर्वे कर नक्शा तैयार

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नेपाल कालापानी क्षेत्र में तैनात सैनिकों के लिए बेहतर व्यवस्था करने में जुटा है। इसी क्रम में उसने स्थायी छावनी निर्माण की योजना तैयार की है। जमीन का सर्वे गुरुवार को पूरा कर नक्शा तैयार कर लिया गया। नेपाल कैबिनेट से अनुमति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। फिलहाल अघोषित रूप से काम शुरू भी कर दिया गया है।

चार दिन में ही नक्शा तैयार

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चीन सीमा तक बनी गर्बाधार-लिपुलेख सड़क का उद्घाटन किया। इसी के बाद से नेपाल ने विरोध शुरू कर दिया। नौ मई को इंद्रजीत राई कालापानी के विवादित क्षेत्र में सेना के हेलीकॉप्टर से पहुंच गए। तेजी दिखाते हुए 13 मई को बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) भी खोल दी गई। 14 को टीम ने छांगरु पहुंचकर स्थायी छावनी के नक्शे पर काम शुरू कर दिया।

नौ करोड़ आएगी लागत

स्थायी छावनी में अभी करीब 160 सैनिकों की तैनाती की योजना है। इनके लिए कमरों के साथ ही ड्रिल क्षेत्र और आयुद्ध केंद्र का निर्माण होगा। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार निर्माण के लिए अभी करीब नौ करोड़ नेपाली रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है। बाद में इसकी लागत 15 करोड़ तक बढ़ सकती है। इसके बनने के बाद नेपाली सेना पूरे साल यानि 12 महीने उच्च हिमालयी क्षेत्र में सक्रिय रह सकती है।

राष्ट्रीयता की भावना भुनाने की जुगत

नेपाली मीडिया ने गर्बाधार-लिपुलेख सड़क निर्माण के बहाने राष्ट्रीयता की भावना भुनाने का अभियान शुरू किया है। ऑनलाइन खबर डॉट कॉम के साथ ही कांतिपुर और हिमालयन पोस्ट ने भारत पर प्रभावी कार्रवाई का जिक्र करते हुए सैन्य छावनी निर्माण का महिमामंडन किया है।

छांगरु में सैन्य छावनी निर्माण की जानकारी नहीं : एसपी

एसपी टुंडू, डिप्टी सेनानी 11वीं वाहिनी- एसएसबी डीडीहाट ने बताया कि छांगरु में नेपाल सशस्त्र बल की बीओपी खुल रही है। बस चौकी के लिए भूमि की नापजोख की गई है। छांगरु में सैन्य छावनी निर्माण की जानकारी नहीं है।

क्‍या कहते हैं भारत-नेपाल संबंधों के जानकार

भारत-नेपाल संबंधों के जानकार रिटायर्ड मेजर बीएस रौतेला ने इस मामले को लेकर कहा कि नेपाल का उद्देश्य गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग की निगरानी है। हालांकि, इससे हमारी तैयारी प्रभावित होने वाली नहीं। नेपाल मित्र राष्ट्र है, लेकिन उसकी हाल की गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

नेपाल बन रहा चीन का मोहरा

गर्बाधार-लिपुलेख मार्ग को लेकर नेपाल के विरोध और कालापानी क्षेत्र में उसकी सक्रियता को रक्षा विशेषज्ञ व लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) मोहन चंद्र भंडारी गंभीर मानते हैं। उनका कहना है कि नेपाल चीन के मोहरे के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल चीन कभी नहीं चाहता था कि देश से लगती उसकी सीमा के मध्य बिंदु (उत्तराखंड से लगती सीमा) पर भारत की स्थिति मजबूत हो। वह इस मामले में सीधे कुछ नहीं कर पा रहा तो नेपाल को आगे करके सीमा विवाद को तूल दे रहा है।


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