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अपने नागर‍िकों को नहीं ले रहा नेपाल, उत्‍तराखंड सरकार पर पड़ रहा है लाखों का बोझ

कोरोना वायरस की महामारी में पूरी दुनिया में नागरिक अपने देश को लौट रहे हैं। पर नेपाल सरकार अपने नागरिकों को वापस बुलाने में उदासीनता बरत रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 08:28 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 08:28 PM (IST)
अपने नागर‍िकों को नहीं ले रहा नेपाल, उत्‍तराखंड सरकार पर पड़ रहा है लाखों का बोझ
अपने नागर‍िकों को नहीं ले रहा नेपाल, उत्‍तराखंड सरकार पर पड़ रहा है लाखों का बोझ

रुद्रपुर, जेएनएन : कोरोना वायरस की महामारी में पूरी दुनिया में नागरिक अपने देश को लौट रहे हैं। पर नेपाल सरकार अपने नागरिकों को वापस बुलाने में उदासीनता बरत रही है। सैकड़ों लोग उत्तराखंड में फंसे हैं। पर उनको लेने को तैयार नहीं है। इनमें से 350 तो ऊधमसिंह नगर के राहत शिविर में हैं। नेपाल को कई बार मौखिक व चिठ्ठी पत्री भेजने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। इन पर रोजाना एक लाख से अधिक खर्च पड़ रहा है।

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यूएस नगर में फंसे हैं करीब 350 नेपाली नागरिक

लॉकडाउन में लोग अपने वतन के लिए रवाना हुए तो यूएस नगर में करीब 350 लोग फंस गए। पहले इन लोगों को 14 दिन संस्थागत क्वारंटाइन के बाद दोबारा 14 दिन राहत शिविर में रखा गया। इसके बाद जांच में पूरी तरह से स्वस्थ पाए जाने पर इन लोगों को वापस वतन भेजने को नेपाल सरकार से यहां के प्रशासन ने बात की। पर कोई जवाब नहीं मिला। खुद की सरकार के रवैये से नेपाल के लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर वह घर कैसे पहुंचे। इसके अलावा ऐसे स्वस्थ हो चुके लोगों को काम मुहैया करा रही है पर नेपाली काम करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में यह प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। इन पर जो खर्च हो रहा है उतने में सैकड़ों जरूरतमंदों की सहायता हो सकती है।

एक माह में 36 लाख रुपये से अधिक का खर्च

राहत शिविरों में करीब एक माह से करीब 350 लोग रह रहे हैं। इन लोगों को जरूरत के सामान के अलावा नाश्ता, लंच व डिनर की सुविधा हैं। राहत शिविर के अफसरों के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति पर 350 से अधिक रुपये रोजाना खर्च हो रहे हैं। इस हिसाब से एक माह में इन पर करीब 36 लाख 75 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। पूरी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। इतने पैसे में तो सैकड़ों लोगों के इलाज के साथ ही मास्क, पीपीई किट आदि स्वास्थ्य संसाधनों को इंतजाम हो सकता है।

काम न करने व घर जाने की जिद

जीजीआइसी फाजलपुर महौराला सहित कई राहत शिविरों में नेपाल के लोग रहे हैं। इन लोगों को जिला प्रशासन ने कई बार फैक्ट्रियों में काम दिलाने का ऑफर किया, मगर लोग काम न करने व घर जाने की जिद पर अड़े हैं। इनमें ज्यादातर शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश की एक फैक्ट्री में सेल्समैन का प्रशिक्षण लेते थे। इन लोगों का कहना है कि घर की याद आ रही है। कुछ दिन पहले 90 लोग नेपाल जाने के लिए गए तो उन्हें खटीमा-नेपाल बार्डर पर प्रवेश से रोक दिया गया।

काम करने को भी तैयार नहीं

जिला नोडल अधिकारी क्वारंटाइन हरीश चंद्र कांडपाल ने बताया क‍ि नेपाल के फंसे लोगों के रहने व खाने के पूरे इंतजाम किए गए हैं। इन्हें काम दिया जा रहा है, मगर काम करने को तैयार नहीं है। नेपाल सरकार भी इन लोगों को नहीं ले रही है। इस संबंध में एसएसपी ने भी नेपाल के पुलिस अफसरों से संपर्क कर चुके हैं। इस मामले को प्रदेश के मुख्य सचिव से भी अवगत कराया जा चुका है।

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