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चीन सीमा तक सड़क बनाने से पहले चार किमी बंद पैदल मार्ग को खोलने में जुटी नेपाल की सेना

भारत में धारचूला-तवाघाट-गर्बाधार-लिपूलेख सड़क के समानांतर नेपाल भी अपने देश में सदरमुकाम दार्चुला-सुनेसरा-घाटीबगड़- छांगरु-तिंकर चीन सीमा तक सड़क निर्माण की तैयारी कर रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 12:25 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 12:25 PM (IST)
चीन सीमा तक सड़क बनाने से पहले चार किमी बंद पैदल मार्ग को खोलने में जुटी नेपाल की सेना
चीन सीमा तक सड़क बनाने से पहले चार किमी बंद पैदल मार्ग को खोलने में जुटी नेपाल की सेना

झूलाघाट/धारचूला (पिथौरागढ़), जेएनएन : भारत में धारचूला-तवाघाट-गर्बाधार-लिपूलेख सड़क के समानांतर नेपाल भी अपने देश में सदरमुकाम दार्चुला-सुनेसरा-घाटीबगड़- छांगरु-तिंकर चीन सीमा भज्यांग तक सड़क निर्माण की तैयारी कर रहा है। इस निर्माण से पूर्व नेपाल की सेना चार किमी बंद पैदल मार्ग को खोलने में जुटी है।

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नेपाल सरकार द्वारा दार्चुला से चीन सीमा तक 134 किमी मार्ग निर्माण का प्रस्ताव पूर्व से है। जब भारत में र्बाधार से लिपुलेख तक सड़क बनने लगी तभी नेपाल सरकार ने भी इस सड़क का प्रस्ताव तैयार कर लिया था।  दार्चुला से चीन सीमा भज्यांग की दूरी 134 किमी है। दार्चुला से सड़क निर्माण का कार्य कुछ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ। नेपाल के सड़क निर्माण विभाग द्वारा 47 किमी सड़क का निर्माण कर दिया गया है ।

नेपाल में भी भारत सीमा पर सुनसेरा और तिसेरपानी तक सड़क बन चुकी है। अब इससे आगे सड़क निर्माण का प्रस्ताव है। बीच में यह कार्य बंद था। इस बीच नेपाल के सुर बदलते ही और भारत में लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद नेपाल में भी सड़क निर्माण की तैयारी हो रही है। सड़क निर्माण का कार्य नेपाल सेना को दे दिया गया है।

पहली बार नेपाल में पैदल मार्ग खोलने के लिए हेलीकॉप्टर से मशीन पहुंंचाई गई। इधर अब सेना प्रमुख खुद इसका निरीक्षण करने आ चुके हैं। जिस स्थान पर बंद पैदल मार्ग खोला जा रहा है वह भारत के बूंदी गांव के सामने काली नदी पार नेपाल में पड़ता है। यहां पर भी भारत के बूंदी गांव के बुदियालों की जमीन है। नेपाली सूत्रों के हवाले से नेपाल सरकार ने 87 किमी मार्ग के लिए नब्बे करोड़ रु पये की स्वीकृति दी है।

दूसरी तरफ काली नदी के इस तरफ भारत में चीन सीमा तक सड़क निर्माण में बीआरओ के अनुसार चार सौ करोड़ के आसपास खर्च आया था। जबकि नेपाल में भी सड़क निर्माण के लिए भारत जैसी ही भौगोलिक स्थिति है। नेपाल की यह सड़क छांगरु  तक काली नदी किनारे बनने के बाद छांगरु  से उत्तर पूर्व की तरफ नेपाल के अंतिम गांव टिंकर से चीन सीमा भज्यांग तक जाएगी। सूत्र बताते हैं कि इस मार्ग निर्माण में चीन परोक्ष रू प से नेपाल की मदद कर रहा है।

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