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दिग्भ्रमित युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने की जरूरत : प्रो. अतुल जोशी nainital news

कुमाऊं विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी कहते हैं विचारों की असहमति के साथ ही सामंजस्य दिखना चाहिए था मगर वर्तमान में दिग्भ्रमित युवा हिंसा पर उतारू हो चुके हैं!

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 12:25 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 12:25 PM (IST)
दिग्भ्रमित युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने की जरूरत : प्रो. अतुल जोशी nainital news
दिग्भ्रमित युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने की जरूरत : प्रो. अतुल जोशी nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : भारत में गुरु-शिष्य परंपरा रही है। देश की धरती के गुरुकुलों में दुनियाभर के विद्यार्थी एक साथ अध्ययन करते थे। इनमें मतभेद भले ही होता हो, लेकिन हिंसा जैसी स्थिति देखने को नहीं मिलती थी। कुमाऊं विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी कहते हैं, विश्वविद्यालय परिसरों में विचारों की असहमति के साथ ही सामंजस्य दिखना चाहिए था, मगर वर्तमान में दिग्भ्रमित होते युवा हिंसा पर उतारू हो चुके हैं। परिसरों में इस तरह की अराजकता के पीछे भले ही तमाम कारण हों, लेकिन कुछ छात्र संगठनों का राजनीतिक संरक्षण भी मुख्य है। ऐसे में हमें भटके हुए युवाओं को सही दिशा दिखाने की जरूरत है। कौशल विकास के साथ ही रोजगार की आवश्यकता है। प्रो. जोशी सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में मौजूद थे। उन्होंने जागरण विमर्श में 'राजनीति का अखाड़ा बनने से कैसे बचे विश्वविद्यालयÓ विषय पर बेबाकी से अपनी राय रखी और समाधान भी सुझाए। विमर्श की शुरुआत से पूर्व समाचार संपादक आशुतोष सिंह ने विषय प्रवर्तन किया।

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मतभेद से ही निकलता है आगे का रास्ता

प्रो. जोशी कहते हैं कि जब मतभेद होगा तो दूसरे भी अपना पक्ष रखेंगे, तभी आगे का रास्ता निकलता है। नई चीजें शुरू होती हैं। संवाद से ही समस्याओं के हल निकाले जाते हैं। दुनिया में तमाम क्रांति केवल संवाद करने से लक्ष्य तक पहुंच गई। हमें विश्वविद्यालयों में बेहतर संवाद का माहौल बनाने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए। हिंसा ऐसा व्यक्ति करता है, जो अधिक डरा हो। आज उद्देश्यहीन युवा निजी स्वार्थों के चलते अपना उपयोग होने देते हैं। किसी के भी हाथ की कठपुतली बन जाते हैं। यही वजह है कि संस्कृति से विमुख हो रहे युवा बिना सोच-विचार के ङ्क्षहसा को उतारू हो रहे हैं।

विविधता में एकता ही हमारी पहचान

भारत की पहचान ही विविधता में एकता की है। करीब 600 रियासतों से मिलकर बने इस देश में कई तरह की विविधताएं हैं। विश्वविद्यालयों से निकले युवाओं ने दुनियाभर में सफलता के झंडे गाड़े हैं। भारतीय संस्कृति का नाम रोशन किया है। हमेशा से ही विविधता में एकता का एहसास कराया है। आज युवाओं को इसी सोच को जिंदा रखना है। प्रो. जोशी कहते हैं कि युवा शार्टकट चाहता है। उसे अपनी छवि की चिंता नहीं है। ङ्क्षहसा के जरिये भविष्य की राह तलाश रहा है, जो सरासर गलत है। सरकार के साथ ही हम सभी की जिम्मेदारी है कि छात्र देशहित में काम करें।

राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं प्रो. जोशी

प्रो. अतुल जोशी का जन्म 1961 में नैनीताल में हुआ। उसके बाद प्रारंभिक व उच्च शिक्षा भी उन्होंने यहीं से ग्रहण की। सामाजिक व राज्य आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले प्रोफेसर जोशी को एनएसएस में बेहतर काम करने के लिए राष्ट्रपति अवार्ड भी मिला है। वर्तमान में कुमाऊं विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष व आइपीएसडीआर के निदेशक पद पर हैं। रामगढ़ में रविंद्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली को शांति निकेतन के तौर पर विकसित करने में जुटे हैं।

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