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    जिस सीट को जीतकर एनडी तिवारी बने थे आखिरी बार सीएम, कांग्रेस में उस पर बगावत की सुगबुगाहट, रोचक है यहां का इतिहास

    Updated: Fri, 22 Mar 2024 08:16 PM (IST)

    Lok Sabha Election दिवंगत एनडी तिवारी रामनगर सीट से अंतिम चुनाव लड़े और प्रदेश के सीएम बने थे। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने दो चुनौती है। पहला-चुनाव जीतना और दूसरा-असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं को मनाना। कांग्रेसियों के बगावती सुर उठने लगे हैं। एक पूर्व प्रभावशाली नेता के बीडीसी व ग्राम प्रधानों के संग भाजपा में जाने की चर्चाएं है।

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    एनडी जिस सीट को जीतकर अंतिम बार सीएम बने, वहां से बगावत की सुगबुगाहट

    दीप बेलवाल, हल्द्वानी। राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था। दिवंगत एनडी तिवारी रामनगर सीट से अंतिम चुनाव लड़े और प्रदेश के सीएम बने थे। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने दो चुनौती है। पहला-चुनाव जीतना और दूसरा-असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं को मनाना। कांग्रेसियों के बगावती सुर उठने लगे हैं।

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    एक पूर्व प्रभावशाली नेता के बीडीसी व ग्राम प्रधानों के संग भाजपा में जाने की चर्चाएं है। ढिकुली गांव के एक रिजार्ट में गोपनीय बैठक हो चुकी है। अपनी कुछ शर्तों पर नेता कमल थामना चाहते हैं। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में रामनगर सीट पर कांग्रेस के योगम्बर सिंह रावत ने भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट से 4915 मतों से हराया था।

    23220 वोट से जीते थे एनडी तिवारी

    छह माह बाद उपचुनाव के लिए योगम्बर रावत ने इस्तीफा देकर रामनगर सीट एनडी तिवारी के उपचुनाव लड़ने के लिए छोड़ दी। तिवारी ने रामनगर में जनसभा की। इसके बाद नामाकंन पत्र दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने के बाद तिवारी फिर रामनगर में प्रचार व जनसंपर्क करने नहीं आए। रामनगर में कांग्रेस नेताओं व एक-एक कार्यकर्ता ने उन्हें चुनाव लड़ाने की कमान संभाली थी। चुनाव नतीजे आए तो तिवारी 23220 वोट से जीते।

    एनडी तिवारी ने रिकॉर्ड किया था अपने नाम

    इस चुनाव में तिवारी को 32913 व भाजपा प्रत्याशी राम सिंह बिष्ट को 9693 वोट मिले थे। यहां से चुनाव जीतकर एनडी ने पांच साल तक सीएम की कुर्सी पर काबिज होने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था। अब लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के एक पूर्व नेता ने खुद ही इंटरनेट मीडिया के जरिए भाजपा में जाने के संकेत दे डाले हैं। उनके समर्थक बीडीसी सदस्य व ग्राम प्रधान भाजपा में जाने की वकालत कर रहे हैं। फोन पर हुई बात में पूर्व नेता ने अभी भाजपा में जाने की बात से मना किया है, यह भी कहा है कि उनकी कुछ बातें मान ली जाएंगी तो वह पाला बदल भी सकते हैं।

    बगावत कर लड़ा चुनाव

    भाजपा में जाने वाले जिस नेता की चर्चा हो रही है वह कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर चुका है।और एक बड़ा चुनाव लड़ा है। 17000 से अधिक वोट हासिल किए। पार्टी के विरुद्ध चुनाव लड़ने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। निष्कासन के बाद भी उनका कांग्रेस व कांग्रेसी नेताओं से नजदीकियां रहीं। पूर्व सीएम हरीश रावत को भी वह करीबी हैं।

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