Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुंदरढूंगा ग्लेश्यिर के पास आलौकिक शक्ति का केंद्र है नंदा कुंड, रोमांच से भरी है यहां की यात्रा

    प्रकृति ने पहाड़ को बहुत कुछ दिया है। यहां की अद्भुत अलौकिक शक्तियां आपको बरबस आकर्षित करती हैं। ऐसा ही कुछ है सुंदरढूंगा ग्लेश्यिर के पास स्थित खूबसूरत नंदा कुंड। यह स्थान देवी पार्वती का है। ऐसा माना जाता है कि यहां देवी पार्वती स्नान को आती है।

    By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:30 AM (IST)
    सुंदरढूंगा ग्लेश्यिर के पास आलौकिक शक्ति का केंद्र है नंदा कुंड, रोमांच से भरी है यहां की यात्रा

    बागेश्वर, जेएनएन : प्रकृति ने पहाड़ को बहुत कुछ दिया है। यहां की अद्भुत अलौकिक शक्तियां आपको बरबस आकर्षित करती हैं। ऐसा ही कुछ है सुंदरढूंगा ग्लेश्यिर के पास स्थित खूबसूरत नंदा कुंड। यह स्थान देवी पार्वती का है। ऐसा माना जाता है कि यहां देवी पार्वती स्नान को आती है। यह स्थान भक्तों के लिए किसी तीर्थ से कर्म नही है। वहीं एडवेंचर के लिहाज से भी यहां की यात्रा रोमांचक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    बागेश्वर जनपद मुख्यालय से 161 किलोमीटर दूर विश्व प्रसिद्ध सुन्दरढुंगा ग्लेशियर के पास यह खूबसूरत कुंड प्रकृति की एक अनमोल धरोहर है। हरे-भरे मखमली घास के मैदानों (बुग्याल) के बीच स्थित यह कुंड समुद्र तल से 13500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि इस कुंड में मां नंदा ने स्नान किया था। इसीलिए यहाँ आए भक्त कुंड के पास देवी को चुनरी और श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं।

     

    नंदा भगवती की पूजा हेतु जल एवं ब्रह्मकमल लेने के लिए देव डांगर और भक्त लोग यहां दुर्गम पैदल यात्रा कर पहुँचते हैं। यह यात्रा अत्यधिक साहसिक एवं रोमांचकारी होती है। इस कुंड तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 72 किलोमीटर की अत्यंत दुर्गम यात्रा करनी होती है। जनपद बागेश्वर से 36 किलोमीटर दूर पतियासार तक वाहन से यात्रा की जाती है। इसके बाद नंदाकुंड हिमालय की पैदल यात्रा शुरू होती है। पांकुवा धार (टॉप) से आगे नगींणा तक कोई रहने की व्यवस्था नहीं है। यात्री कौतेला नामक स्थान में रात्रि विश्राम अनवालों के छांनों (अस्थाई टैण्टों) में करते हैं। कौतेला टॉप से एक ओर सरमूल का और दूसरी ओर पिंडारी एवं कफनी ग्लेशियर के विहंगम दृश्य दिखाई देते हैं।

     

     

    चारों ओर मिलते है ब्रह्मकमल

    कौतेला में अनवालों का बसेरा जिन्हें स्थानीय लोग छान कहते हैं। यहां नंदा कुंड पहुंचने पर चारों ओर ब्रह्मकमल एवं अनेक हिमालयी फूलों के दर्शन होते हैं। सुगंधित जड़ी-बूटियां तन-मन में नई ऊर्जा का संचार करती हैं। लगभग 110 मीटर लंबे और 50 मीटर चौड़े इस प्राकृतिक कुंड में आसपास की हरियाली का प्रतिबिंब चार चांद लगा देता है। कुंड के चारों ओर खिले ब्रह्मकमल के सफेद फूल इस स्थल की रमणीयता को और भी बढ़ा देते हैं।

     

    नंदा कुंड क्षेत्र है पवित्र धार्मिक धरोहर

    विशेष बात यह भी है कि नंदा कुंड का पानी गर्मी के मौसम में ठंडा तथा शीतकाल में कुछ गर्म हो जाता है। जाड़ों में यह कुंड बर्फ की परतों से ढक जाता है। नंदा कुंड ( देवी कुंड) को क्षेत्र में पवित्र धार्मिक धरोहर का भी दर्जा प्राप्त है। नंदा पूजा के लिए लोग कई दिन पैदल चलकर कुंड का पानी तांबे के कलशों में भरकर लाते हैं। नंदा कुंड प्रवास का अनुभव अत्यधिक रोमांचकारी होता है। दृढ़ निश्चय, सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखने वाले भक्त ही नंदा कुंड तक पहुँच पाते हैं।