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    इस लोकसभा सीट पर 1991 में दिखा था बड़ा उलटफेर, तब पीएम थे संभावित उम्मीदवार; नए चेहरे ने पलट दी थी बाजी

    Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई है। उत्तराखंड में कांग्रेस प्रत्याशियों पर मंथन कर रही है। इसी बीच पुराने चुनावों को भी याद कर लेते हैं। राजनीतिक घटनाक्रम नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर वर्ष 1991 में देखने को मिला था। जब नए चेहरे ने नारायण दत्त तिवारी को करारी शिकस्त दी थी। उस वक्त ये नाम पीएम की रेस में भी शामिल था।

    By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Tue, 12 Mar 2024 01:46 PM (IST)
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    जब नारायण दत्त तिवारी को मिली थी करारी शिकस्त

    गणेश जोशी, हल्द्वानी। एक समय था जब नारायण दत्त तिवारी राष्ट्रीय राजनीति के शिखर पर थे। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में उनका नाम शुमार था। विकास पुरुष की छवि थी उनकी। भारतीय राजनीति के ऐसे अकेले नेता रहे हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री बने। लेकिन राजनीति के एक ऐसे उलटफेर की वजह उन्हें मरते दम तक सालती रही। यह राजनीतिक घटनाक्रम नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर वर्ष 1991 में देखने को मिला था।

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    नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा क्षेत्र में तब उत्तर प्रदेश का बहेड़ी क्षेत्र भी शामिल था। एनडी यानी नारायण दत्त इस सीट से पहले भी वर्ष 1980 में लोकसभा चुनाव जीते थे। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के साथ ही भारत सरकार में विदेश मंत्रालय समेत कई अन्य मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे। राजनीति में उनका बहुत बड़ा कद था।

    नए चेहरे बलराज पासी ने दी थी करारी शिकस्त

    वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदारों में एनडी का नाम भी तेजी से दौड़ने लगा था। तब सोनिया गांधी भी राजनीति में सक्रिय नहीं थी। ऐसे समय में एनडी आत्मविश्वास से भरे थे, लेकिन भाजपा के नए चेहरे बलराज पासी ने चुनाव हरा दिया। पीएम बनने का सपना चकनाचूर हो गया था। पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने थे। यह हार एनडी को मरते दम तक सालती रही। नारायण दत्त तिवारी ने कई बार अपने साक्षात्कार में इस घटना का जिक्र भी किया है। इस संसदीय सीट से राजनीति का यह बड़ा उलटफेर था।

    दिलीप कुमार का प्रचार भी माना गया हार का कारण

    प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार ने एनडी के लिए बहेड़ी में प्रचार किया था। इस हार को लेकर चर्चा होते रही है कि जब क्षेत्र में लोगों को दिलीप के युसूफ खान होने की जानकारी मिली तो यह एनडी के हार का कारण बना।

    जब इला पंत से भी हार गए थे एनडी

    एनडी जिस ऊंचाई से राजनीति के शिखर पर पहुंचे। उसी गति से नीचे भी उतरते रहे। उनकी हार का दूसरा बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम 1998 में देखने को मिला। एक बार फिर एनडी तिवारी ने नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट से ही चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भर दिया था। उसी चुनाव में कभी कांग्रेस के गोविंद बल्लभ पंत परिवार की कर्मस्थली रही इस सीट पर भाजपा ने केसी पंत की पत्नी इला पंत भी चुनावी मैदान में उतार दिया।

    हालांकि इला पंत का क्षेत्र में पहले से बहुत अधिक पकड़ नहीं थी। इसके बावजूद इला ने अपनी चुनावी रणनीति से ऐसा करिश्मा कर दिखाया कि एनडी जैसे दिग्गज को परास्त कर दिया था। नैनीताल-ऊधम सिंह नगर की हॉट सीट पर एक बार फिर यह बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम था। हालांकि इसके बाद एक बार फिर एनडी इसी सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीते भी।

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