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    नैनीताल चुनाव अपहरण कांड से लोकतंत्र शर्मसार, सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 04:30 PM (IST)

    नैनीताल पंचायत चुनाव में अपहरण के ड्रामे ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। सोशल मीडिया पर इस घटना का जमकर मजाक उड़ रहा है क्योंकि कथित अपहरण किए गए सदस्यों का घूमने का वीडियो वायरल हो गया है। नेताओं ने इसे लोकतंत्र का मजाक और शर्मनाक घटना बताया है जिससे चुनाव की गंभीरता कम हो गई है।

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    नाटकीय तरीके से हुए अपहरण के ड्रामे ने पंचायत चुनाव को बना दिया मजाक

    गणेश जोशी, जागरण, हल्द्वानी। जिला पंचायत अध्यक्ष के मतदान में अपहरण की कहानी से दो दिन तक सियासी हाइवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। नैनीताल शहर से लेकर हल्द्वानी सियासी हमलों से गूंजता रहा। पक्ष-विपक्ष की यह गूंज राजधानी की सियासत को भी बेचैन कर गई। चुनाव रोचक होने की उम्मीद थी लेकिन पहले विवादास्पद और फिर अब हास्यास्पद हो गया है।

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    अब इस चुनाव का मजाक इंटरनेट मीडिया में जबरदस्त तरीके से उछल रहा है। हर कोई अपहरण की कहानी के अपने राजनीतिक मायने निकाल रहा है लेकिन सच भाजपा व कांग्रेस के आरोप-प्रत्यारोप के बीच ही उछल रहा है। दोनों दलों के नेताओं के बीच मुकदमा तो दर्ज हो गया लेकिन जिस अपहरण के लिए यह मुकदमा हुआ है, अब अपह्रर्ताओं ने ही स्वयं के घूमने जाने का वीडियो प्रसारित कर दिया।

    जैसे ही कथित तौर पर अपहरण किए गए पंचायत सदस्यों का वीडियो आया तो इस चुनाव को लेकर फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और एक्स पर भी तरह-तरह के कमेंट्स के साथ ही वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं। प्रदीप पांडे नामक फेसबुक यूजर ने तो इन्हें बिहार की मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान चर्चा में आया 124 वर्ष की मिंता देवी के बच्चे बताया और खूब मजाक उड़ाया है।

    अब हर कोई अपहरण को पूरी तरह नौटंकी करार दे रहा है। इसमें साजिश किसकी है, यह जांच का विषय है, लेकिन एक यूजर ने कहा कि यह जांच तो होगी ही नहीं। राकेश पंत ने इनके वीडियो वाले पोस्ट पर लिखा है, इन्हें जनप्रतिनिधि होने पर स्वयं पर शर्मिंदगी होनी चाहिए। चंद्रशेखर करगेती लिखते हैं, मैनेज कर लिया अच्छा है। इन्हेांने न केवल लोकतंत्र की हत्या होने से बचा लिया बल्कि एक सत्ता के खासमखास पुलिस अधिकारी की नौकरी भी बचा ली।

    शंकर सिंह नगरकोटी लिखते हैं, अरे वोट के ही दिन कैसे चले गए घूमने। आंचल पंत ने इसे लोकतंत्र का भद्दा मजाक बताते हुए लिखा है, जनता को सोचना चाहिए कि किनको अपना नेतृत्व करने की शक्ति दे रहे हैं। कार्तिक सिंह इसे मनी पावर कहते हैं।

    नैनीताल में एक जिले के अध्यक्ष के चुनाव में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता आए थे। 15 प्रमाण पत्र एक हाथ में दिखा रहे थे। दूसरे क्षेत्र के विधायक भी नैनीताल में आए थे। अगर ठीक से जांच हो तो पता चला जाएगा कि गलत कहां पर हुआ है। आगे लिए यही कहा जाएगा कि अध्यक्ष का चुनाव भी सीधे जनता की ओर से किया जाना उचित रहेगा। -प्रताप बिष्ट, जिलाध्यक्ष, भाजपा

    सरोवर नगरी में अपहरण जैसी घटना शर्मनाक है। यह निंदनीय और दुखदायी है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए भी खराब है। सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है। ऐसा नहीं होना चाहिए। जनता के जनादेश का पूरी तरह अपमान किया गया है। इस तरह की घटना मैंने अपने जीवन में अभी तक नहीं देखी थी। - राहुल छिमवाल, जिलाध्यक्ष कांग्रेस