हाई कोर्ट में नैनीताल पंचायत चुनाव पर दोबारा मतदान को लेकर सुनवाई, अनियमितताओं पर रिपोर्ट तलब
नैनीताल हाई कोर्ट ने जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव में गड़बड़ियों की शिकायत पर राज्य निर्वाचन आयोग से विस्तृत शपथपत्र मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि क्या पांच सदस्यों ने मतदान से अनुपस्थित रहने की अनुमति ली थी। याचिकाकर्ता ने मतगणना में मतपत्रों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई न करने का कारण पूछा जो बिना अनुमति के बाहर चले गए थे।
जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद के लिए मतदान दिवस पर पांच जिपं सदस्यों के अपहरण सहित दोनों पदों पर दोबारा मतदान को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव में हुई गड़बड़ियों व शिकायतों पर की गई कार्रवाई पर दो दिन के भीतर विस्तृत शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या पांच सदस्यों ने अपना मत नहीं डालने के लिए कोई अनुमति ली थी? मामले में अगली सुनवाई को पहली सितंबर की तिथि नियत की है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि निर्वाचन आयोग ने नैनीताल की जिलाधिकारी व एसएसपी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट पर क्या निर्णय लिया।
इस दौरान सरकार की ओर से याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ रही है, इसलिए याचिका को निरस्त किया जाए जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह भी जिला पंचायत सदस्य पद के लिए निर्वाचित हैं, इसलिए उसे चुनौती देने का अधिकार है।
जिपं सदस्य पूनम ने याचिका दायर कर कहा कि मतगणना के दौरान निरस्त मतपत्र में छेड़छाड़ हुई है। क्रमांक एक में ओवरराइटिंग कर उसे क्रमांक दो लिख दिया गया, फिर मतपत्र अमान्य घोषित कर दिया गया। बिना तय प्रक्रिया को अपनाए आयोग ने चुनाव का परिणाम घोषित कर दिया। उन्होंने उन पांच लोगों के खिलाफ क्या एक्शन लिया, जिन्होंने अपना मत नहीं डालने के लिए कोई अनुमाती नहीं ली थी।
सौ मीटर दायरे में नहीं हुई कोई गड़बड़ी
नैनीताल: सुनवाई के दौरान आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट की ओर से प्रेक्षक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि मतदान केंद्र जिला पंचायत सौ मीटर के दायरे में कोई गड़बड़ी या हिंसा नहीं हुई है। प्रेक्षक ने रिपोर्ट डीजीपी, जिलाधिकारी व एसएसपी को भेजी थी।
इस दौरान डीएम व एआरओ की ओर से निर्वाचन आयोग को भेजी गई रिपोर्ट पेश की गई। आयोग को भेजी रिपोर्ट विवादित नहीं होने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी से मामला अपने स्तर से निस्तारित करने को कहा गया।
प्रेक्षक ने 15 अगस्त सुबह पांच बजे रिपोर्ट भेजी। फिलहाल पांच जिला पंचायत सदस्यों को को नोटिस भेजने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। डीएम ने अध्यक्ष प्रत्याशी पुष्पा नेगी की शिकायत पर एसएसपी की रिपोर्ट मिलने के बाद डिटेल रिपोर्ट बनाकर निर्वाचन आयोग को भेजी।
निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दर्मवाल के अधिवक्ता की ओर से घटनाक्रम के बारे में बताया।
प्रेक्षक के अनुसार पांच सौ मीटर के दायरे में सब खाली था, उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि विपक्ष के पास 15 लोगों के प्रमाणपत्र थे। कोर्ट के अनुसार पांच सदस्य बिना अनुमति के बाहर चले गए, उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई ? क्या निर्वाचन आयोग शक्तिहीन है।
उन सदस्यों को सूचित करना चाहिए था, वो प्रार्थना पत्र कहां है ? कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता यह है कि निर्वाचन आयोग क्या कर रहा है ? आयोग की किसी रिपोर्ट में अपहरण या किसी अपराध की सूचना नहीं है। मतदान के रोज अपहरण के आरोपों के बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई, एसएसपी को तलब करना पड़ा, कोर्ट ने यह नहीं पूछा है कि किसने किसको वोट दिया है, लेकिन किसी को मत देने या नहीं देने के लिए बाध्य तो नहीं किया गया है?
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