Uttarakhand News: नहीं खुला माध्यमिक शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता, हाई कोर्ट में तीन जुलाई को होगी अगली सुनवाई
नैनीताल से आई खबर के अनुसार राज्य में एलटी शिक्षकों की प्रवक्ता और प्रवक्ताओं की प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति का मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 3 जुलाई निश्चित की है क्योंकि शिक्षकों और सरकार के बीच कानूनी लड़ाई में लगभग तीन हजार से ज्यादा पदोन्नतियां फंसी हुई हैं।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। राज्य में एलटी शिक्षकों की प्रवक्ता पद पर तथा प्रवक्ताओं की प्रधानाध्यापक-प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति का मामला फिलहाल नहीं सुलझ सका है।
इस मामले में याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई को तीन जुलाई की तिथि नियत की है। बताया जाता है कि शिक्षकों व सरकार की लड़ाई में करीब तीन हजार से अधिक पदोन्नतियां कानूनी दांव पेंच में फंसी है।
दरअसल, 2008 में हाई कोर्ट ने भुवन कांडपाल व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए तदर्थ शिक्षकों को 21 नवंबर 1995 के शासनादेश के अनुसार पहली अक्टूबर 1990 से नियमित करने के आदेश पारित किए थे।
हाई कोर्ट के इस निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार ने पहले हाई कोर्ट में विशेष अपील दायर की, तो कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया, इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया। इसी बीच कुछ एलटी व प्रवक्ता शिक्षकों ने हाई कोर्ट के भुवन कांडपाल से संबंधित निर्णय के आधार पर उनको भी वरिष्ठता का लाभ देने को हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट की एकलपीठ ने मामला मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दिया। 2019 में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले में निर्णय दिया कि याचिकाकर्ताओं को भुवन कांडपाल से संबंधित मामले के आधार पर नियमित माना जाए।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकार को अपना प्रत्यावेदन देने व सरकार को निर्णय देने को कहा, पहले तो राज्य सरकार ने इस निर्णय को माना, बाद में वापस ले लिया।
सचिव के पूर्व के आदेश के अनुसार वरिष्ठता निर्धारण नहीं करने के शिक्षा सचिव के आदेश को प्रभावित शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी तो कोर्ट ने मामले को पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल भेज दिया।
ट्रिब्यूनल ने भी आदेश पारित किया कि हाई कोर्ट की खंडपीठ का निर्णय इस श्रेणी के सब शिक्षकों पर लागू होगा। ट्रिब्यूनल ने तीन माह के भीतर वरिष्ठता सूची जारी करने के निर्देश सरकार को दिए थे।
ट्रिब्यूनल के आदेश को भी दी गई चुनौती
पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेश को राज्य सरकार के अलावा सीधी भर्ती से नियुक्त प्रभावित शिक्षकों ने याचिका दायर कर चुनौती दी। प्रभावित शिक्षक प्रेमा बौड़ाई सहित अन्य का कहना था कि उनकी नियुक्ति सीधी भर्ती से हुई है, ऐसे में वरिष्ठता निर्धारण में तदर्थ सेवा को नहीं जोड़ा जाना चाहिए, जबकि पिथौरागढ़ के शिक्षक जीवन धामी, लक्ष्मण खाती व अन्य पक्षकारों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तदर्थ सेवा के आधार पर वरिष्ठता निर्धारण का निर्णय दिया था।
हाई कोर्ट की खंडपीठ के निर्णय को भी सरकार ने चुनौती नहीं दी थी। इन शिक्षकों में कुछ को सरकार ने रिटायरमेंट के बाद पेंशन व ग्रेच्युटी का लाभ तक दे दिया। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने 50 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तिथि नियत कर दी।
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