हल्द्वानी में नौंवी कक्षा का एक छात्र बॉडी शेमिंग से परेशान होकर जानवरों को नुकसान पहुंचाने लगा। सहपाठियों द्वारा लगातार चिढ़ाने से उसके मन में गुस्सा भर गया था। काउंसलिंग से पता चला कि वह पिछले तीन सालों से इस समस्या से जूझ रहा है। मनोविज्ञानी ने अभिभावकों को बच्चों के बदलते व्यवहार पर ध्यान देने की सलाह दी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी । शहर के एक स्कूल में नौंवी के छात्र के शरीर की बनावट सामान्य बच्चों से भिन्न है। यही वजह है कि उसके सहपाठी उसकी बुलिंग करते हैं। यानी कि उसकी इस बनावट पर उसे बार-बार चिढ़ाते हैं, तरह-तरह के कमेंट करते हैं।
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सहपाठियों की इस हरकत से आजिज उसके मन में गुस्सा पनपने लगा। यह स्थिति छात्र के मानसिक विकार तक पहुंच गई। नतीजा यह हुआ कि गुस्से का इजहार वह जानवरों की आंखें फोड़कर करने लगा। बंद कमरे में अजीबोगरीब व्यवहार करने लगा।
बॉडी शेमिंग की बुलिंग से था परेशान
शहर के इस 14 वर्षीय छात्र के एक स्वजन को इसकी एक चैट दिखी, जिसमें उसने अपने गुस्से को लेकर लिखा था। इसके बाद स्वजन छात्र को तत्काल काउंसलिंग के लिए डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के वरिष्ठ मनोविज्ञानी डा. युवराज पंत के पास ले आए। जब बच्चे से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि तीन वर्षों से उसकी कक्षा के अन्य छात्र उसे परेशान करते हैं।
बॉडी शेमिंग की बुलिंग से वह परेशान हो गया। इस तरह के व्यवहार से उसके मन में प्रतिशोध की भावना भर गई। इसके लिए वह कभी छोटे जानवरों के पैर बांध दिया करता था। कभी पेन से उनकी आंखें फोड़ देता। यहां तक कि वह कागज में जानवर की तरह आकृति बनाता।
इसमें वह बुलिंग करने वाले सहपाठियों के नाम लिख देता और फिर उसे जला देता था। शुरुआत में परिवार के लोगों को यह व्यवहार सामान्य लगा। अब छात्र की काउंसलिंग शुरू हो गई है। पंत ने बताया कि अभिभावकों को अपने बच्चों के बदलते व्यवहार की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
एंड्रायड फोन नहीं मिलने पर काट की दोनों हाथों की नसें
एसटीएच में ही इसी सप्ताह एक और छात्रा को काउंसलिंग के लिए लाया गया। छात्रा ने अपने दोनों हाथों में कुहनी तक ब्लेड से बुरी तरह घाव किए थे। उसे इस तरह की हरकत का न ही पछतावा था और न ही उसे ऐसा करने पर दर्द हुआ।
एसटीएच मे मनोचिकित्सा विभाग में मनोविज्ञानी ने जब इसका कारण पूछा तो पता चला कि वह कई महीनों से एंड्रायड फोन की जिद कर रही थी। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसकी जिद पूरी कर सकते। उसने गुस्से में स्वयं को ही नुकसान पहुंचा दिया। अब काउंसलिंग के बाद उसके व्यवहार में सुधार हो रहा है।
अभिभावक इन बातें का रखें ध्यान
- बदलते व्यवहार की अनदेखी न करें अभिभावक
- बच्चों को न ज्यादा प्यार करें और न ही दमन
- माता-पिता रोल माडल की तरह बनें
- खेलकूद व संगीत गतिविधियों में लगाएं
- धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लगाएं
- समस्या दिखे तो काउंसलिंग अवश्य कराएं
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