नैनीताल मालरोड पर फिर संकट! धंसाव से बढ़ी चिंता, ट्रीटमेंट होगा अगले साल
नैनीताल के मालरोड में 2018 में ध्वस्त हुए क्षेत्र के पास सड़क धंसने से चिंता बढ़ गई है। सड़क का 20 मीटर हिस्सा तीन-चार इंच नीचे धंस गया है जिसमें दरारें आ गई हैं। झील का जलस्तर बढ़ने से मालरोड के स्थाई उपचार का काम फिर अटक गया है। लोनिवि कोलतार भरकर पानी का रिसाव रोकने का प्रयास करेगा। अब अगले साल ही ट्रीटमेंट शुरू हो पाएगा।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। मालरोड के 2018 में ध्वस्त हुए क्षेत्र को सात साल बाद भी स्थाई उपचार का इंतजार है। अब इसके ठीक बगल में सड़क धसने से चिंता बढ़ गई है। सड़क का करीब 20 मीटर लंबा हिस्सा तीन से चार इंच नीचे धंस गया है। जिसमें बड़ी बड़ी दरारे उभर आई है।
ऐसे में यदि सड़क टूटी तो पूर्व की तरह ही यातायात संचालन करने का संकट गहरा जाएगा। ईधर टेंडर, अनुबंध के बावजूद मालरोड के स्थाई उपचार का प्रोजेक्ट धरा का धरा है। अब झील के जलस्तर में कम आने के बाद ही रोड को स्थाई उपचार मिल सकेगा।
बता दे कि 2018 में लोअर मालरोड का करीब 25 मीटर हिस्सा टूट कर झील में समा गया था। जियो बैग से अस्थाई सड़क निर्मित कर करीब एक माह में यातायात सुचारु हो सका था। लंबी कवायदों के बाद पूर्व में क्षतिग्रस्त हिस्से के स्थाई उपचार का प्रोजेक्ट स्वीकृत होकर बजट मिल सका। मगर कभी मानसून तो कभी पर्यटन सीजन काम में बाधा बना रहा।
अब मानसून के दौरान पूर्व में ध्वस्त हुई सड़क के ठीक बगल के क्षेत्र में हो रहे भूधंसाव से चिंता बढ़ गई है। सड़क के करीब 20 मीटर लंबे हिस्से में सड़क तीन चार इंच नीचे बैठ गई है। जिसमें दरारें उभर आई है। ऐसे में यदि पानी का रिसाव हुआ तो सड़क के ध्वस्त होने की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। लोनिवि अधिशासी अभियंता रत्नेश कुमार सक्सेना ने बताया कि धंस रहे क्षेत्र में कोलतार भरवाकर पानी का रिसाव रोका जाएगा।
तो अब अगले साल ही होगा मालरोड का उपचार
सात साल पूर्व ध्वस्त हुई लोअर मालरोड का स्थाई उपचार तो जैसे सपना बनकर रह गया है। लंबी कवायदों के बाद 2023 में 3.48 करोड़ के प्रोजेक्ट को शासन से स्वीकृति मिली थी। मगर ठेकेदार नहीं मिलने तो कभी मानसून व कभी पर्यटन सीजन होने के कारण सड़क को उपचार नहीं मिल सका। आठ बार टेंडर करने के बाद इस वर्ष लोनिवि को ठेकेदार मिला तो सड़क के उपचार की उम्मीदे जगी।
विभागीय स्तर पर ठेकेदार से अनुबंध भी हो गया। मगर पर्यटन सीजन में वाहनों का दबाव अधिक होने के कारण कार्य शुरू नहीं हो सका। अब मानसून में झील के बढ़े जलस्तर ने ट्रीटमेंट की राह रोक दी है। रत्नेश कुमार सक्सेना ने बताया कि बढ़े हुए जलस्तर के बीच राेकथाम कार्यों को करना संभव नहीं है। झील का जलस्तर कम होने के बाद ही ट्रीटमेंट शुरू किया जाएगा। ऐसे में अगले गर्मियों तक ही झील का जलस्तर कम होने के बाद रोकथाम कार्य शुरू हो सकेंगे।
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