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    Nainital Lok Sabha Seat Profile: पहाड़, तराई व भाबर का संतुलन है नैनीताल

    Nainital Lok Sabha Seat Profile आबादी के हिसाब से भी नैनीताल उत्तराखंड का तीसरा बड़ा जिला है। आजादी के बाद से इस सीट में यूपी का बहेड़ी भी शामिल हुआ करता था लेकिन बाद में यब अलग हो गया। इस सीट का अपना समृद्ध इतिहास भी रहा है। इस लोकसभा सीट के तहत दो जिले और विधानसभा की 14 सीटें भी आती हैं।

    By ganesh joshi Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Fri, 08 Mar 2024 01:16 PM (IST)
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    Nainital Lok Sabha Seat Profile: पहाड़, तराई व भाबर का संतुलन है नैनीताल

    गणेश जोशी, हल्द्वानी। राजनीतिक रूप से हमेशा हाट रही नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट का भूगोल एकदम अलग है। यह तीन हिस्सों में बंटा है। पहला तराई, यह ऊधम सिंह नगर जिले का हिस्सा है। दूसरा भाबर, इसमें हल्द्वानी, लालकुआं व कालाढूंगी क्षेत्र शामिल है। तीसरा है पर्वतीय। जिसमें नैनीताल, भीमताल, भवाली, रामगढ़ और बेतालाघाट जैसा दुर्गम क्षेत्र भी शामिल है।

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    पहले यह पूरा क्षेत्र एक ही जिले में शामिल था लेकिन 30 सितंबर 1995 को तराई क्षेत्र को अलग कर ऊधम सिंह नगर जिला बना दिया गया था। इसी जिले में औद्योगिक इकाइयां भी अधिक हैं और यहीं पंतनगर हवाई अड्डा भी है। इस जिले की एक और बड़ी पहचान है गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर। यह देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है।

    इसी सीट में विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल भी है। आबादी के लिहाज से भी यह राज्य का तीसरा बड़ा जिला है। आजादी के बाद से इस लोकसभा सीट में उत्तर प्रदेश का बहेड़ी भी शामिल था लेकिन अब इसे अलग कर दिया गया है।

    विविधता से भरा क्षेत्र

    वैसे तो इस क्षेत्र में भारत की विविधता झलकती है। जहां पर्वतीय मूल के लोगों के साथ ही पूर्वांचल, पश्चिम उत्तर प्रदेश, सिख समुदाय के लोग निवास करते हैं। वहीं मुस्लिमों की संख्या भी अच्छी-खासी है। जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो लगभग 27 प्रतिशत क्षत्रिय, 17 प्रतिशत ब्राह्मण, 16 प्रतिशत अल्पसंख्यक, 16.8 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 5.17 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हैं। बाकी अन्य जातियों के लोग निवास करते हैं।

    राजनीति का समृद्ध इतिहास

    इस सीट का समृद्ध इतिहास भी है। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ परिवार की यह कर्मस्थली रहा है। आजादी के बाद लगातार दो आम चुनावों में पंत के दामाद सीडी पांडे इस सीट से सांसद चुने गए।

    इसके बाद उनके पुत्र केसी पंत ने इसी सीट से तीन बार जीत हासिल कर हैट्रिक बनाई थी। वर्ष 1991 में जब पंडित नारायण दत्त तिवारी प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदारों में शामिल हो चुके थे। इस सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पूर्व सीएम हरीश रावत, भगत सिंह कोश्यारी भी इस सीट से भाग्य आजमा चुके हैं जिसमें रावत को हार का सामना करना पड़ा।

    वर्तमान में अजय भट्ट सांसद होने के साथ ही केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री हैं। राज्य बनने के बाद से देखें तो दोनों जिले राजनीतिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बन गए हैं। जहां हर समय किसी न किसी तरह की राजनीतिक हलचल बनी रहती है। क्योंकि इस सीट के अंतर्गत हल्द्वानी है जो कुमाऊं का प्रवेश द्वार व सबसे बड़ा शहर है।

    दो जिले और विधानसभा की 14 सीटें

    नैनीताल लोकसभा सीट के तहत दो जिले आते हैं और 14 विधानसभा सीटें हैं। वर्तमान में इन सीटों पर आठ भाजपा विधायक और छह सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। ऊधम सिंह नगर जिले में कांग्रेस के विधायक अधिक हैं। हल्द्वानी, रुद्रपुर व काशीपुर नगर निगम है। तीनों में भाजपा के ही मेयर रहे हैं। वर्तमान में इस सीट पर लगभग 20 लाख वोटर हैं।