44.35 करोड़ से चमकेंगी नैनीताल की इस झील की दीवारें, सिंचाई विभाग करवाएगा जियोफिजिकल सर्वे
नैनीझील की जीर्ण सुरक्षा दीवारों की मरम्मत से पहले झील के परिधि क्षेत्र का जियोफिजिकल सर्वे किया जाएगा। यह सर्वे दीवारों के टूटने के कारण और भूगर्भीय हलचल की जांच करेगा। जांच रिपोर्ट आईआईटी रुड़की को भेजने के बाद ही मरम्मत का तरीका तय किया जाएगा।

नरेश कुमार, नैनीताल। नैनीझील की जीर्णक्षीर्ण हो चुकी सुरक्षा दीवारों को नवजीवन देने से पहले झील की परिधि क्षेत्र का जियोफिजिकल सर्वे कराया जाएगा। यह अध्ययन दीवारों के टूटने के कारणों के साथ ही भूगर्भीय हलचल की जांच करेगा। जांच रिपोर्ट को आईआईटी रुड़की को भेजने के बाद ही ट्रीटमेंट तय किया जाएगा।
सिंचाई विभाग ने निजी संस्था के उपकरण व मशीने मंगाकर जियोफिजिकल सर्वे शुरू कर दिया है। विभाग की ओर से सुरक्षा दीवार निर्माण को 44.35 करोड़ की प्राथमिक डीपीआर भी तैयार कर ली है। हालांकि आईआईटी के विशेषज्ञों के सुझाव के बाद इसमें संशोधन होने की संभावना है।
बता दें कि ब्रिटिशकाल में झील से जुड़े नालों के साथ ही सुरक्षा दीवार का भी निर्माण किया गया था। पूर्व में रिक्शे व पैदल चलने वाली मालरोड को बाद में मोटर रोड के रुप में परिवर्तित कर दिया गया। सड़क पर वाहनों का दबाव तो बढ़ा, लेकिन झील की सुरक्षा दीवारों के पुर्ननिर्माण का कार्य नहीं किया गया।
नतीजतन झील के लगातार बढ़ते, गिरते जलस्तर के चलते व देखरेख के अभाव में चारों ओर की सुरक्षा दीवार जीर्णक्षीर्ण हो गई। जिससे 2018 व इस वर्ष सुरक्षा दीवार के साथ ही मालरोड तक क्षतिग्रस्त हो गई। बीते 18 सितंबर को क्षतिग्रस्त मालरोड का निरीक्षण करने पहुंचे कुमाऊ आयुक्त दीपक रावत ने सिंचाई विभाग को झील के चारों ओर की सुरक्षा दीवार की मरम्मत का प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिये थे। सिंचाई विभाग अधिशासी अभियंता डीके सिंह ने बताया कि चारों ओर की सुरक्षा दीवार निर्माण के लिए 44.35 करोड़ की डीपीआर बनाकर मुख्य अभियंता कार्यालय भेजी गई है।
झील की परिधि क्षेत्र का जियोफिजिकल सर्वे शुरु
अधिशासी अभियंता डीके सिंह ने बताया कि विभागीय स्तर पर सुरक्षा दीवार निर्माण को डीपीआर तो बना दी गई है। लेकिन झील की 3.4 किमी परिधि में किस स्थान पर किस प्रकार का ट्रीटमेंट दिया जाना है इस पर विशेषज्ञों के सुझाव लिये जाने है।
जिसके लिए परिधि क्षेत्र का जियोफिजिकल सर्वे करवाया जा रहा है। जिसमें करीब 12 मीटर गहराई तक होल कर मिट्टी व साइल के नमूने लिये जायेंगे। बताया कि सर्वे के लिए निजि संस्था से उपकरण व मशीने मंगा कर जांच शुरु कर दी गई है। जांच में लिए गए नमूनों को आईआईटी रुड़की के विज्ञानियों से परीक्षण करवाया जाएगा। जिससे झील की परिधि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन के कारणों का भी पता लग पाएगा।
कहीं पाइलिंग तो कहीं सुरक्षा दीवार का रखा है प्रस्ताव
डीके सिंह ने बताया कि विभागीय स्तर पर झील की परिधि की सुरक्षा को बनायी गयी प्राथमिक डीपीआर में पाइलिंग व सुरक्षा दीवार निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। ऐसे स्थान जहां झील सीधा सड़क के नीचे स्थित है वहां पाइलिंग व जहां सीधा जुड़ाव नहीं है वहां तल पर आरसीसी के बाद सामान्य दीवार निर्माण का प्रस्ताव है। हांलाकि जियोफिजिकल सर्वे के बाद मिले डाटा की विशेषज्ञों द्वारा डीपीआर में जो संशोधन किये जायेंगे उस आधार पर ही कार्य किया जाएगा।

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