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    नैनीताल पर मंडरा रहा भूस्खलन का बड़ा खतरा, चौतरफा दरक रहीं पहाड़ि‍यां; जल्‍द होगा वैज्ञान‍िक सर्वे

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 09:03 AM (IST)

    शहर पर भूस्खलन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। बलियानाला हो या शहर की सबसे ऊंची चाइना पीक। टिफिन टॉप राजभवन मार्ग ठंडी सड़क कैलाखान क्षेत्र समेत आबादी भरे चार्टन लाज क्षेत्र में चौतरफा हो रहे भूस्खलन से शहर के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है। अब उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र की ओर से भूस्खलन स्थलों समेत शहर के हर क्षेत्र का सर्वे किया जाएगा।

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    नैनीताल का बलियानाला भूस्खलन वाला क्षेत्र।- जागरण।

    नरेश कुमार, नैनीताल। शहर में चौतरफा गहरा रहे भूस्खलन के कारणों की जांच और समाधान को अब विज्ञानी सर्वे करेंगे। शासन स्तर से उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के विशेषज्ञों की ओर से अगले छह माह तक विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर अध्ययन किया जाएगा। सर्वे के बाद शहर के भूस्खलन समेत अन्य क्षेत्रों का पूरा रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा सकेगा। जिसके बाद विधिवत तरीके से भूस्खलन रोकथाम के प्रयासों को धरातल पर उतारा जा सकेगा। साथ ही भविष्य में विभिन्न विभागों की ओर से प्रस्तावित निर्माण कार्यों को लेकर भी बेहतर योजना बनाई जा सकेगी।

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    शहर पर भूस्खलन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। शहर की तलहटी पर स्थित बलियानाला हो या शहर की सबसे ऊंची चाइना पीक। टिफिन टॉप, राजभवन मार्ग, ठंडी सड़क, कैलाखान क्षेत्र समेत आबादी भरे चार्टन लाज क्षेत्र में चौतरफा हो रहे भूस्खलन से शहर के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है।

    जिला प्रशासन और जिला आपदा विभाग के स्तर से विभिन्न भूस्खलन क्षेत्रों की रोकथाम को प्रयास किए जा रहे है। मगर भारवहन क्षमता पूरी कर चुके शहर के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए यह नाकाफी साबित हो रहा है। बढ़ती समस्या को देखते हुए अब उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र की ओर से भूस्खलन स्थलों समेत शहर के हर क्षेत्र का सर्वे किया जाएगा।

    केंद्र निदेशक डॉ. शांतनु सरकार ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक विधियों से अगले छह माह तक शहर का सर्वे किया जाना है। अध्ययनों के आधार पर शहर की कंटूर मैपिंग के साथ ही अन्य डाटा संकलित किया जाएगा।

    टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल सर्वे होगा

    डॉ. शांतनु ने बताया कि विभिन्न विषय विशेषज्ञ नैनीताल का टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल सर्वे करेंगे। टोपोग्राफिक सर्वे में शहर के समतल, ढलान क्षेत्रों समेत सड़कों व भवनों का डाटा एकत्रित कर कंटूर मैपिंग की जाएगी। वहीं, जियोटेक्निकल सर्वे में भूस्खलन समेत अन्य क्षेत्रों की भूमिगत जांचे की जाएगी। जिसमें मिट्टी व चट्टानों के नमूने लेकर मजबूती की जांच की जाएगी। यह अध्ययन करीब छह माह तक चलेगा।

    भूस्खलन रोकथाम और भविष्य की योजनाओं के लिए होगा सहाय

    डॉ. शांतनु ने बताया कि छह माह के सर्वे में शहर की भौगोलिक और भूगर्भीय स्थितयों का सटीक पता लगाया जा सकेगा। संकलित डाटा के आधार पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे भूस्खलन की रोकथाम के लिए किसी तरह का उपचार दिया जा सकता है यह योजना बनाई जा सकेगी। साथ ही सर्वे रिपोर्ट को अन्य विभागों से भी सांझा किया जाएगा। जिससे भविष्य में निर्माण कार्य समेत अन्य योजनाओं को बनाने और उनके क्रियान्वयन में सर्वे रिपोर्ट बेहद सहायक साबित होगी।

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