क्या सेना नदियों से अवैध खनन रोकने का भी काम कर सकती है ? नैनीताल हाई कोर्ट ने पूछा सवाल
नैनीताल हाई कोर्ट ने हरिद्वार में गंगा नदी से अवैध खनन के मामले में सुनवाई करते हुए सेना को शामिल किया है। कोर्ट ने सेना से पूछा कि क्या वह नदियों में ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर व कुंभ मेला क्षेत्र में गंगा नदी के किनारे हो रहे अवैध खनन के विरुद्ध मातृ सदन हरिद्वार की जनहित याचिका पर सुनवाई में सेना को भी शामिल कर लिया है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष सेना की गढ़वाल रीजन की लीगल सेल के कैप्टन राघव कोर्ट के आदेश पर पेश हुए। कोर्ट ने उनसे पूछा कि सेना पर्यावरण व जल स्रोतों के संरक्षण का काम कर रही है। क्या सेना नदियों में हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए भी कार्य कर सकती है। जिस पर कैप्टन राघव ने कहा कि मैं हाल ही में लीगल सेल से जुड़ा हूं। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से वार्ता करेंगे।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान मातृ सदन की ओर से से बताया गया कि पूर्व में कोर्ट व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हरिद्वार में चल रहे 48 स्टोन क्रशरों के संचालन पर पाबंदी लगा दी थी। जो बंद भी हो गए थे। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से ली गई विधिक राय में भी आदेश को सही ठहराया गया लेकिन इसके बाद भी वर्तमान में ये स्टोन क्रशर संचालित हैं।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से राज्य सरकार की उस विधिक राय को कोर्ट में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने गंगा नदी के संरक्षण को गंभीरता से लेते हुए मामले में अगली सुनवाई तिथि 18 जून तय की है।
यह है याचिका
हरिद्वार मातृ सदन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। जिससे गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। गंगा में खनन करने वाले नेशनल मिशन क्लीन गंगा (एनएमसीजी) को पलीता लगा रहे है।
याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए। आरोप लगाया कि खनन कुंभ मेला क्षेत्र में भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसीजी बोर्ड गठित किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना व उसके अस्तित्व को बचाए रखना है।
राज्य सरकार को बार-बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नहीं किया जाय। उसके बाद भी खनन कार्य करवाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी भारत सरकार को गंगा को बचाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मांगी थी। उसके बाद भी गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है।

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