Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Nainital High Court का महत्वपूर्ण आदेश: वैवाहिक स्थिति से नहीं, जन्म से निर्धारित होती है जाति

    Updated: Sat, 13 Apr 2024 01:09 PM (IST)

    Nainital High Court यह निर्णय एक गुज्जर महिला से जुड़े मामले में किया गया था जिसने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के निवासी एक सामान्य जाति के पुरुष से विव ...और पढ़ें

    Hero Image
    Nainital High Court: नैनीताल हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

    जागरण संवाददाता, नैनीताल: Nainital High Court: हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है। निर्णय में एकलपीठ ने कहा है कि किसी व्यक्ति की जाति उसके जन्म से निर्धारित होती है, ना कि वैवाहिक स्थिति से।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह निर्णय एक गुज्जर महिला से जुड़े मामले में किया गया था, जिसने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के निवासी एक सामान्य जाति के पुरुष से विवाह किया है। न्यायालय ने हरिद्वार जिले के भगवानपुर तहसीलदार के महिला के जाति प्रमाण पत्र से संबंधित आवेदन को रद करने के निर्णय को निरस्त कर दिया है। साथ ही तहसीलदार को आठ सप्ताह के भीतर जाति प्रमाण पत्र जारी करने के याचिकाकर्ता के दावे की जांच करने का आदेश दिया है।

    याचिकाकर्ता महिला के अनुसार वह उत्तराखंड की स्थायी निवासी है और उसका जन्म एक गुज्जर परिवार में हुआ था, जिसे यहां अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में मान्यता प्राप्त है। उसने जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसके अनुरोध को तहसीलदार ने केवल इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह अब विवाहित है।

    सरकारी अधिवक्ता की ओर से ने तर्क दिया कि महिला के पति उत्तर प्रदेश के निवासी हैं, इसलिए महिला को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करना संभव नहीं है।

    इस पर न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज करने के लिए जो आधार अपनाया गया है, वह कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है। कोर्ट ने निर्णय में कहा है कि इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि जाति जन्म से निर्धारित होती है और अनुसूचित जाति के किसी भी व्यक्ति के साथ विवाह से जाति नहीं बदली जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सुनीता सिंह बनाम यूपी राज्य के मामले में यह निर्णय दिया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में कहा था कि व्यक्ति की जाति की स्थिति उसके जन्म से निर्धारित होती है, ना कि विवाह से। विवाह से किसी व्यक्ति की जाति नहीं बदलती। नैनीताल हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करते हुए तहसीलदार भगवानपुर का का 21 मार्च का जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन निरस्त करने का आदेश रद कर दिया। साथ ही तहसीलदार को आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तारीख से आठ सप्ताह के भीतर, कानून के अनुसार याचिकाकर्ता महिला के जाति प्रमाण पत्र जारी करने के दावे की जांच करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी प्रमाणपत्र देने से इनकार करने के लिए विपक्षियों की ओर से अपनाया गया रुख टिकाऊ नहीं है।