हरिद्वार हत्याकांड में फांसी की सजा बरकरार, तीन दोस्तों ने लड़की संग की थी बर्बरता; पढ़कर कांप जाएगी रूह
नैनीताल हाई कोर्ट ने हरिद्वार में युवती की हत्या के मामले में दोषी हैदर को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा की पुष्टि करने के मामले में सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने रजिस्ट्री को दस्तावेज सरकार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद है। निचली अदालत ने हैदर को फांसी की सजा सुनाई थी।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश हरिद्वार की ओर से युवती की हत्या मामले में दोषी करार हैदर को फांसी तथा 50 हजार जुर्माने की सजा को पुष्टि करने से संबंधित मामले में सुनवाई की।बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को मामले से संबंधित पूरे दस्तावेज सरकार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अगली सुनवाई को दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
हरिद्वार निवासी हैदर को निचली अदालत ने 12 जून 2025 को फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि दोषी हैदर को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, जब तक मौत नहीं हो जाती। हो जाती।
हरिद्वार निवासी दिनेश ने वर्ष 2021 में थाना गंगनहर, तहसील रुड़की जिला हरिद्वार में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि उनकी बहन को हैदर अक्सर परेशान करता है। जब वह घर पर नही थे तो हैदर अपने दो साथियों के साथ घर में घुसा। उसके बाद तीनों ने बहन के घुटने मोड़कर धारदार हथियार से उसका गला धड़ से अलग कर दिया।
आरोपित हैदर अक्सर उस पर शादी करने का दबाव डाल रहा था, जब बहन ने शादी से मना किया तो तो आरोपित ने इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपित ने खुद को निर्दोष तथा फांसी की सजा के अयोग्य बताया जबकि अभियोजन पक्ष की तरफ से कहा गया कि आरोपित हैदर ने साजिशन वारदात को अंजाम दिया। अभियुक्त के साथियों ने भी इसमें सहयोग दिया, लिहाजा उनको भी सजा दी जाए।
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