उत्तराखंड: अब इंसानों की तरह जानवरों को मिलेंगे कानूनी अधिकार
नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने हवा, पानी और पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों को विधिक अस्तित्व का दर्जा दिया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने हवा, पानी व धरती पर रहनवाले जीव जंतुओं को विधिक दर्जा प्रदान करते हुए उत्तराखंड के नागरिकों को उनका संरक्षक घोषित कर दिया है। कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि जीव जंतुओं के भी मानव की तरह अधिकार, कर्तव्य व जिम्मेदारियां हैं।
दरअसल सीमांत चम्पावत में नेपाल सीमा से सटे बनबसा कस्बे के नारायण दत्त भट्ट ने जनहित याचिका दायर की थी। 2014 में दायर याचिका में कहा गया था कि बनबसा से महेंद्रनगर(नेपाल) की दूरी 14 किमी है। इस मार्ग पर घोड़ा, बुग्गी, तांगा, भैंसा गाड़ियों का उल्लेख करते हुए उनके चिकित्सकीय परीक्षण, टीकाकरण के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया था।
याचिका में यह भी कहा गया था कि बुग्गियों, तांगों व भैंसा गाडिय़ों से यातायात प्रभावित होता है और इन गाड़ियों के माध्यम से मानव तस्करी व ड्रग्स तस्करी की आशंका बनी रहती है। यह भी बताया था कि भारत नेपाल सीमा पर इनकी जांच नहीं की जाती है। इस मामले में भारत-नेपाल सहयोग संधि 1991 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए 13 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे बुधवार को जारी किया गया।
सीमा पर पशु चिकित्सा केंद्र खोलें
कोर्ट ने अपने आदेश में नगरपंचायत बनबसा को नेपाल से भारत आने वाले घोड़े-खच्चरों का परीक्षण करने, सीमा पर एक पशु चिकित्सा केंद्र खोलने के निर्देश दिए हैं। पंतनगर विवि के कुलपति को निर्देश दिए हैं कि पशुपालन विभाग की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करें, कमेटी में दो प्रोफेसर सदस्य बनाए जाएं। कमेटी पशु क्रूरता अधिनियम से संबंधित मामलों में रिपोर्ट पेश करे। कुलपति मुख्य सचिव को रिपोर्ट भेजेंगे, ताकि जरूरत पड़ने पर अधिनियम में संशोधन कर सकेंगे।
पशुओं से अधिक वजन ना ढोया जाए
आदेश में कोर्ट ने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पशुओं से अधिक भार ना ढोया जाए। जानवरों के माध्यम से ले जाने वाले भार को भी तय कर दिया गया है। कोर्ट ने जानवरों से अधिक व न्यूनतम तापमान में काम ना लेने के निर्देश दिए हैं। नगरपालिकाओं से कहा है कि जानवरों से भार ढोने वाले मामलों में नजर रखें। तांगा घोड़ा गाड़ियों पर रिफलेक्टर लगाने के निर्देश मालिकों को दिए हैं। नगर निकायों से यह भी कहा है कि वह जानवरों के लिए आश्रय स्थल बनाएं। साथ ही जानवरों के लिए बनाए गए कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। पुलिस अधिकारियों से जानवरों से अधिक भार ना ढोने देना सुनिश्चित करने को कहा है। पशु चिकित्सकों से कहा है कि बीमार जानवरों का उपचार करें, यदि जानवर चिकित्सक के पास नहीं लाया जा सकता तो चिकित्सक जानवर के पास खुद जाए और उसका उपचार करे।
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