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    डीडीहाट जिपं सदस्य के प्रत्याशी का नामांकन निरस्त करने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई, चुनाव में ले सकेंगे भाग

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 04:39 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने डीडीहाट जिला पंचायत सदस्य के प्रत्याशी नरेंद्र देउपा का नामांकन निरस्त करने के मामले में सुनवाई की। खंडपीठ ने देउपा को चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी। रिटर्निंग अधिकारी ने आपराधिक केसों का उल्लेख न करने पर नामांकन रद्द किया था। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से चुनाव चिन्ह जारी करने पर सवाल उठाया और बैलेट पेपर की प्रिंटिंग पर टिप्पणी की।

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    प्रत्याशी नरेंद्र देउपा को चुनाव में प्रतिभाग करने की अनुमति दी। File

    जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने जिला पंचायत डीडीहाट क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य के प्रत्याशी का नामांकन पत्र निरस्त करने के मामले पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडप ने प्रत्याशी नरेंद्र देउपा को चुनाव में प्रतिभाग करने की अनुमति दे दी है।

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    डीडीहाट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव नरेंद्र सिंह देवपा लड़ना चाह रहे थे। उन्होंने नामांकन की तिथि को नामांकन फार्म भी भरा लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने इस आधार पर नामांकन निरस्त कर दिया कि उन्होंने आपराधिक केसों का जिक्र फार्म में नहीं किया है। उस कॉलम को नहीं भरा।

    याचिका में कहा गया कि जो नामांकन पत्र का प्रारूप राज्य निवार्चन आयोग की तरफ से बनाया गया है , वह राज्य पंचायतीराज नियमावली की धारा 9 के विरुद्ध है। जबकि वह आपराधिक केसो में पहले ही बरी हो चुके है। उस कालम को भरना जरूरी नहीं था। वर्तमान में राज्य चुनाव आयोग ने एक्ट को दरकिनार कर उनका नामांकन फार्म रद कर दिया।

    एकलपीठ ने देउपा की याचिका निरस्त कर दिया था, जिसके विरुद्ध मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में अपील की। खण्डपीठ ने एक्ट के विरुद्ध जाकर उनका नामांकन पत्र को निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी। सुनवाई पर कोर्ट ने राज्य निवार्चन आयोग से पूछा कि क्या चुनाव के सिंबल जारी हो गए है। जिसपर आयोग की तरफ से कहा गया कि नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी हो चुकी है। जिनका फार्म सही नही था, उसे एक्ट के विरुद्ध मानकर रिटर्निंग अधिकारी ने निरस्त कर दिया।

    मतपत्र छपने के लिए प्रेस में भेज दिए गए है , इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इलेक्शन हुआ नहीं है, कोर्ट में पीड़ितों की याचिकाएं विचाराधीन है लेकिन सिंबल आवंटन से पहले कैसे बैलेट पेपर की प्रिंटिंग की जा सकती है। कौन उम्मीदवार को क्या सिंबल पर चुनाव चाहता है, उसकी पसंद का ख्याल नही रखा।