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    Nainital Foundation Day: पर्यटन से पुराना है नैनीताल के ऐतिहासिक स्कूलों का अतीत

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 02:09 PM (IST)

    नैनीताल, एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है, जिसका विकास स्कूली शिक्षा के साथ शुरू हुआ। अंग्रेजों ने इसकी प्राकृतिक सुंदरता को पहचाना और 1869 में यहाँ स्कूल खोले। इन स्कूलों में भारत और विदेशों के बच्चे पढ़ते थे, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिला। 1862 में नैनीताल को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। अब यह शहर पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहाँ का पर्यटन पूरे साल चलता है।

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    नैनीताल झील।

    रमेश चंद्रा, नैनीताल। देश-दुनिया के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में शामिल नैनीताल ने उतार चढ़ाव तो खूब देखे हैं, लेकिन इस नगर में स्कूली शिक्षा ने पहले कदम रखा और उसके बाद ही पर्यटन को पर लगने शुरू हुए। वर्तमान में यह हिल स्टेशन स्कूलों और पर्यटन के लिए विश्व विख्यात है।

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    नैनीताल स्थापना दिवस 18 नवंबर पर विशेष


    नैनीताल की नैसर्गिक प्राकृतिक सुंदरता ही थी, जिसने अंग्रेजों को अपने वश में किया। लंदन के माफिक आबोहवा से वशीभूत अंग्रेज शासकों ने इस पर्वतीय अंचल को करीने से सहेजना शुरू कर दिया। जिसके फलस्वरूप 1841 में बसासत का विस्तार होने लगा तो 28 वर्ष बाद 1869 में स्कूली शिक्षा का शुभारंभ हुआ। जिनमें शेरवुड कालेज और आल सेंट्स कॉलेज के नाम शामिल है। इसके बाद 1878 में सेंट मैरी कॉन्वेंट कॉलेज नगर का तीसरा स्कूल बना तो 1888 में सेंट जोजफ कॉलेज की स्थापना हुई। इन विद्यालयों अंग्रेजों के अलावा राजा रजवाड़ों के बच्चे शिक्षा हासिल करते थे। सेंट जोजफ कॉलेज में पादरियों की शिक्षा के साथ विद्यालय का शुभारंभ हुआ था।


    हिल स्टेशन के पर्यटन स्थल बनने की रोचक कहानी


    दरअसल अंग्रेज शासक इस बात से भलीभांति वाकिब थे कि इस नगर का भविष्य कई मायनों में उज्वल है। लिहाजा उन्होंने इस नगर का उद्धार स्कूलों से शुरू किया और इन स्कूलों में भारत ही नहीं बल्कि विदेशों के बच्चों का पठन पाठन कार्य शुरू हो सका। लोग यहां आने लगे और यहां की सुंदरता का बखान पर्यटन के रूप में शुरू हो गया। अंग्रेजों की योजना कारगर साबित हुई और यह पर्यटन स्थली के रूप में विकसित होते चली गई। स्कूलों के शुभारंभ से पहले 1862 में नैनीताल को उत्तर पश्चिमी प्रांत को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया।

    इधर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित यह नगर फलता फूलता चला गया। ब्रिटिशकाल में यहां ग्रीष्मकालीन सीजन के सैलानी पहुंचा करते थे। इसके बाद शरदकालीन पर्यटन भी शुरू हो गया। अब यहां का पर्यटन बारामास चलने लगा है और नगर की आजीविका का सबसे बड़ा हिस्सा बन चुका है।




    अंग्रेजों की पारखी नजरों से समझा था नैनीताल को



    नैनीताल। प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो अजय रावत कहते हैं कि अंग्रेजों की पारखी नजरों ने योजनाबद्ध नैनीताल का विस्तार किया। स्कूल बनाए और पर्यटन को पंख लगाए। आला दर्जे के अस्पताल खोले। रैमजे अस्पताल में अब पहले जैसी सुविधाएं नहीं रही, लेकिन इसकी भव्यता आज भी झलकती है। मगर स्कूलों की अखंडता आज भी बरकरार है।



    धूमधाम से मनाया जाएगा नैनीताल का जन्मदिवस

     

    नैनीताल के 184 का जन्मदिवस मंगलवार को ताल चैनल की ओर से धूमधाम से मनाया जाएगा। एमडी मारुति साह ने बताया कि अपराह्न दो बजे से मल्लीताल बास्केटबाल ग्राउंड के विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं के मंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। नगर बुजुर्गों को सम्मानित किया जाएगा। केक काटा जाएगा और 250 गरीबों को कंबल बांटे जाएंगे। समारोह की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।