नैनीताल के मोहनको चौराहे पर आग लगने से सिस्टम की लाचारी फिर उजागर हुई। फायर हाइड्रेंट सूखे मिले और अग्निशमन विभाग के इंतजाम नाकाफी साबित हुए। अंग्रेजों के समय शहर में 83 फायर हाइड्रेंट थे पर अब कई निष्क्रिय हैं। पानी का प्रेशर भी कम था। पूर्व में भी नैनीताल में कई बड़ी आग की घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें करोड़ों का नुकसान हुआ है।
नरेश कुमार, नैनीताल। शहर के मोहनको चौराहे पर घटित भीषण अग्निकांड को काबू करने में एक बार फिर सिस्टम लाचार नजर आया। हमेशा की तरह अग्निकांड के बाद फायर हाइड्रेंट सूखे मिले तो अग्निशमन विभाग के पास मौजूदा इंतजाम भी नाकाफी नजर आए।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आसपास के होटलों व भवनों के बाथरूम से पानी छिड़काव कर काबू पाने के प्रयास किए, मगर आग भीषण होने के कारण सारे इंतजाम धरे के धरे रह गए। ऐसे में सवाल है कि पूर्व में दर्जनों अग्निकांडों में करोड़ों का नुकसान होने के बावजूद जिम्मेदार क्यों नहीं चेत रहे हैं।
बता दें कि अंग्रेजों द्वारा बसाए गए नैनीताल शहर में ब्रिटिशकाल के दौरान भी अग्निकांड से बचाव के पर्याप्त इंतजाम थे। शहर में आग बुझाने के लिए पेयजल लाइन को छोड़ अलग से लाइन बिछाई गई थी। जिसमें शहरभर में 83 फायर हाइड्रेंट स्थापित किये गए थे। समय के साथ शहर की आबादी व अग्निकांड तो बढ़े, मगर रोकथाम के इंतजाम सीमित होते गए। 2016 में एडीबी द्वारा पुरानी हाइड्रेंट लाइन को पेयजल लाइन से जोड़ दिया है। जिस कारण हाइड्रेंटों में 24 घंटे पानी सप्लाई नहीं रहता।
जरूरत पड़ने पर जल संस्थान द्वारा सप्लाई चालू करने के काफी देर बाद ही लाइन में पानी पहुंच पाता है। बुधवार रात भी कुछ ऐसा ही हुआ। आग बुझाने के लिए हाइड्रेंट खोले गए तो उनमें पानी ही नहीं मिला। जिससे भीषण होती आग पर फायर वाहनों से पानी के छिड़काव से भी बात नहीं बनी। 50 प्रतिशत फायर हाइड्रेंट निष्क्रिय शहर में स्थापित 83 फायर हाइड्रेंटो में से 17 हाइड्रेंट जमीदोज होकर अस्तित्व खो चुके है तो 30 से अधिक तकनीकी खामी के चलते बंद पड़े हैं।
पूर्व में हुई घटनाओं के बाद प्रशासनिक व संबंधित जिम्मेदारों द्वारा निरीक्षण कर हाइड्रेंटो को दुरुस्त करने के दावे तो किए जाते हैं मगर एक दशक बीत जाने के बाद भी कोई इंतजाम नहीं होना जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। वाहनों से छिड़काव किये जा रहे पानी में भी नहीं मिला प्रेशर अग्निकांड के बाद लोगों ने फायर विभाग को सूचना दी तो वह भी समय पर नहीं पहुंची। सूचना पर सबसे पहले हाई कोर्ट का फायर वाहन मौके पर पहुंचा।
फायर हाइड्रेंट निष्क्रिय मिलने के बाद वाहनों से पानी का छिड़काव किया गया, मगर पानी में प्रेशर पर्याप्त नहीं होने के कारण आग और अधिक भड़क गई। आग बुझाने को फायर कर्मियों ने केमिकल युक्त बाल सुलगते भवन में फेंके, मगर वह भी काम नहीं आए।
शहर में यहां हुईं बड़ी अग्निकांड की घटनाएं और उनमें हुआ नुकसान
- 2023- विक्रम विंटेज के आउटहाउस राख- नौ लाख
- 2023- खड़ी बाजार में छह दुकाने व होटल- 9.5 लाख
- 2021- शहर के समीप कैलाखान केंट क्षेत्र में आवासीय भवन राख- 32 लाख
- 2020- बड़ा बाजार क्षेत्र में आग लगने से एक की मौत, लाखों का सामान राख
- 2019- बजेठिया हाउस शेरवानी- डेढ़ करोड़
- 2019- मेट्रोपोल- 25 लाख
- 2019- बीएसएनएल एक्सचेंज- जांच जारी
- 2018- भारत टेंट हाउस तल्लीताल- 14.25 लाख
- 2018- शेरवानी कंपाउंड- एक की मौत, 15 लाख
- 2018- मेहरा मेडिकोज मल्लीताल- सात लाख
- 2016- जिला पंचायत रोड- पांच लाख
- 2015- केएमवीएन कार्यालय- जांच जारी
- 2014- मल्लीताल बड़ा बाजार- 19 लाख
- 2013- मेट्रोपोल क्षेत्र- दो लाख
- 2013- शेरवुड क्षेत्र- चार लाख
- 2013- राजभवन- 2.7 लाख
- 2013- डीएम कार्यालय परिसर- नौ लाख
- 2012- हल्द्वानी रोड क्षेत्र- 2.50 लाख
- 2010- मेविला कंपाउंड- तीन लाख
- 2010- डीएम कार्यालय- तीन करोड़
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।