आठ पहाड़ी जिलों को मिलाकर उत्तराखंड बनाने के पक्ष में थे मुलायम, क्या थीं कौशिक समिति की शिफारिशें?
Mulayam Singh Yadav Passed Away अलग उत्तराखंड राज्य की नींव 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में पड़ी। राज्य ...और पढ़ें

किशोर जोशी, नैनीताल : Mulayam Singh Yadav Death : अलग राज्य उत्तराखंड विधिवत रूप से भले ही नौ नवंबर 2000 अस्तित्व में आया हो मगर राज्य की नींव 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में पड़ी। राज्य आंदोलनकारी ताकतें व संगठन खुले तौर पर ना सही अनौपचारिक रूप से इसे स्वीकार करते हैं।
कौशिक समिति (Kaushik Committee) की रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार कर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने साफ कर दिया था कि वह आठ पहाड़ी जिलों को मिलाकर उत्तराखंड राज्य के पक्षधर रहे हैं। उन्हीं के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा में अलग राज्य का संकल्प भी पारित हुआ था।
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रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में बनाई थी कमेटी
अलग राज्य आंदोलन जब उफान पर था तो जनवरी 1993 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अपने भरोसेमंद नगर विकास मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जिसमें उत्तराखंड मूल के आईएएस डॉ आरएस टोलिया भी एक सदस्य थे जबकि अन्य में मुख्य सचिव के अलावा सपा बसपा गठबंधन सरकार के मंत्री।
कमेटी ने की थी पांच बैठकें
चार जनवरी 1994 को समिति अस्तित्व में आ गई। इस समिति की पांच बैठकें हुई, पहली लखनऊ, दूसरी अल्मोड़ा, तीसरी पौड़ी गढ़वाल, चौथी काशीपुर, पांचवीं लखनऊ में। इन बैठकों में राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ शिक्षाविद, समाजसेवी व बुद्धिजीवी शामिल हुए। पूर्व विधायक डॉ नारायण सिंह जंतवाल बताते हैं कि समिति ने दस माह में रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी।
21 जून 1994 को समिति की सिफारिशें मंजूर
21 जून 1994 को समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया। जिसमें आठ पहाड़ी जिलों को बनाकर अलग राज्य उत्तराखंड बनाने, गैरसैंण को राजधानी बनाने, हिमाचल मॉडल की तर्ज पर अलग राज्य बनाने, चकबंदी भू बंदोबस्त लागू करने की मुख्य सिफारिश शामिल थी। डॉ जंतवाल के अनुसार तब उत्तराखंड क्रांति दल ने मुलायम सरकार को समर्थन दिया था।
फिर यूकेडी ने ले लिया समर्थन
राज्य आंदोलन के दौरान मसूरी, खटीमा व रामपुर तिराहा कांड के बाद दल ने समाजवादी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जोड़ा कि आरक्षण को लेकर जब मंडल आयोग की सिफारिश के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तो उक्रांद ने पूरे पहाड़ को आरक्षण के दायरे में लाने की मांग की थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। डॉ जंतवाल के अनुसार मुलायम सिंह 1989 में मुख्यमंत्री के रूप में नैनीताल आये और उन्होंने नैनीताल क्लब में समीक्षा बैठक ली थी।

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