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    मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज बीएएमएस अंतिम वर्ष के छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने की दे अनुमति : हाईकोर्ट

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Tue, 24 Aug 2021 06:23 PM (IST)

    छात्रों का कहना है उन्होंने फीस निर्धारित कमेटी के अनुसार निर्धारित फीस जमा करा दी गयी है जो बढ़ी हुई फीस है वह उन पर लागू नही होती है। बढ़ी हुई फीस 2019 के बाद वाले छात्रों पर लागू होगी लेकिन प्रबंधन हमसे भी बढ़ी फीस वसूल कर रहा है।

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    सरकार व कालेज प्रबंधन तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल: उच्च न्यायालय ने मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज रुड़की में बीएएमएस के अंतिम वर्ष के छात्रों को मुख्य परीक्षा में नही बैठने देने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिए छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने व सरकार व कालेज प्रबंधन तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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    मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज रुड़की के छात्र अजय व अन्य की याचिका पर सुनवाई हुईं। छात्रों का कहना है कि वह कालेज में बीएएमएस के 2016-17 बैच के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हैं। अंतिम वर्ष के छात्रों की मुख्य परीक्षा की फार्म भरने की अंतिम तिथि 23 अगस्त 2021 थी, कालेज प्रबंधन द्वारा उनको फार्म इसलिए नही भरने दिया कि उन्होंने बढ़ी हुई फीस जमा नही की।इस सम्बंध में कालेज प्रबंधन द्वारा एक नोटिस अंतिम वर्ष के छात्रों के अभिभावकों को भी भेजा गया। जिसमें कहा गया कि उनको पाल्यों को तभी परीक्षा में बैठने दिया जाएगा जब वे बढ़ी हुई फीस फार्म भरने से पहले जमा करेगें।

    छात्रों का कहना है उन्होंने फीस निर्धारित कमेटी के अनुसार निर्धारित फीस जमा करा दी गयी है, जो बढ़ी हुई फीस है वह उन पर लागू नही होती है। बढ़ी हुई फीस 2019 के बाद वाले छात्रों पर लागू होगी लेकिन प्रबंधन हमसे भी बढ़ी हुई फीस वसूल कर रहा है। इसी वजह से उनको फार्म नही भरने दिया जा रहा है, जबकि मुख्य परीक्षा प्रारम्भ होने की तिथि छह सितम्बर नियत है। याचिकाकर्ताओ का यह भी कहना है 2016 व 17 बैच के छात्रों को 80 हजार रुपये प्रति वर्ष फीस देनी थी जिसे सरकार ने बढाकर 2 लाख 15 हजार कर दिया था। जिसे अन्य आयुर्वेदिक मेडिकल के छात्रों द्वारा उच्च न्यायलय में चुनौती दी गयी थी।

    कोर्ट  ने निर्णय दिया था कि बढ़ी हुई फीस छात्रों को वापस किया जाय। उच्च न्यायालय ने मेडिकल कालेज की याचिका को निरस्त कर दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद भी उनसे अधिक फीस वसूली जा रही है । और उनको परीक्षा से वंचित किया जा रहा है।

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