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    Meteor Shower: भोर में रंगीन हुआ आसमान, दो दर्जन प्रतिघंटा की दर से उल्कावृष्टि देखने को मिली

    By kishore joshiEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Mon, 08 May 2023 07:19 AM (IST)

    Meteor Shower रविवार भोर में इस रोमांचक खगोलीय घटना में दो दर्जन प्रतिघंटा की दर से उल्कावृष्टि देखने को मिली। पूर्ण चंद्रमा की चमकती रोशनी के कारण इस घटना को रात के समय नहीं देखा जा सकता था।

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    Meteor Shower: रविवार भोर में इस रोमांचक खगोलीय घटना में दो दर्जन प्रतिघंटा की दर से उल्कावृष्टि देखने को मिली।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल: Meteor Shower: अंतरिक्ष की अद्भुत खगोलीय घटनाओं में जलती उल्काओं का दृश्य खास होता है। रविवार भोर में इस रोमांचक खगोलीय घटना में दो दर्जन प्रतिघंटा की दर से उल्कावृष्टि देखने को मिली।

    इस घटना को रात के समय नहीं देखा जा सकता

    आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज)नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि एटा एक्वारिड्स मेटियोर शावर यानी कुंभ तारामंडल उल्कावृष्टि हर वर्ष इसी दौरान देखने को मिलती है। पूर्ण चंद्रमा की चमकती रोशनी के कारण इस घटना को रात के समय नहीं देखा जा सकता था।

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    धूमकेतु द्वारा छोड़े गए मलबे के कारण होती है उल्कावृष्टि

    चंद्रमा के अस्त होने के बाद भोर में यह नजारा दिखता है। रविवार भोर में यह पीक पर रही और एक घंटे में करीब दो दर्जन से अधिक जलती उल्काएं गिरती हुई नजर आईं। एटा एक्वारिड्स उल्कावृष्टि हेली नामक धूमकेतु द्वारा छोड़े गए मलबे के कारण होती है।

    पृथ्वी के वातावरण से स्पर्श करते ही जल उठते हैं धूल कण

    धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा करते हैं और इस दौरान पृथ्वी के मार्ग में धूल कणों का ढेर सारा मलबा छोड़ जाते हैं। जब पृथ्वी इस मलबे से होकर गुजरती है तो धूल कण पृथ्वी के वातावरण से स्पर्श करते ही जल उठते हैं। तब उल्कावृष्टि की खगोलीय घटना होती है।

    13 व 14 अगस्त को देखने को मिलेगी उल्कावृष्टि

    हेली धूमकेतु 1986 में पृथ्वी के मार्ग से गुजरा था और अगली बार 2061 में सूर्य के करीब पहुंचेगा। अब अगली उल्कावृष्टि पार्शिड मेटयोर शावर 13 व 14 अगस्त को देखने को मिलेगी।