पुरुष भी हो रहे पत्नियों के उत्पीड़न के शिकार, हेल्प लाइन पर फोन कर लगा रहे गुहार nainital news
ऊधमसिंहनगर में घरेलू हिंसा का शिकार सिर्फ महिलाएं ही नहीं ही बल्कि पुरुष भी हो रहे हैं। वह पत्नियों से खुद को बचाने के लिए महिला हेल्प लाइन पर कॉल कर गुहार लगा रहे हैं।
रुद्रपुर, जेएनएन : समाज में यह एक आम धारणा बनी है कि पुरुष या पति कभी घरेलू हिंसा का शिकार नहीं हो सकता है। घरेलू हिंसा जैसा शब्द सिर्फ महिलाओं के साथ जुड़ सकता है। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। यह हम नहीं कह रहे, आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं। जी हां औद्योगिक नगरी ऊधमसिंहनगर में घरेलू हिंसा का शिकार सिर्फ महिलाएं ही नहीं ही बल्कि पुरुष भी हो रहे हैं। वह पत्नियों से खुद को बचाने के लिए महिला हेल्प लाइन पर कॉल कर गुहार लगा रहे हैं। पुलिस आंकड़ों की बात करें तो पांच साल में महिला हेल्प लाइन पर आईं 3428 शिकायतों में से 721 शिकायतें पुरुषों की हैं।
आपराधिक वारदातों के लिए चर्चित है यूएसनगर
कुमाऊं मंडल में आपराधिक वारदात में ऊधमसिंनगर पहले स्थान पर है। डकैती, हत्या, लूट, चोरी, अपहरण, दुष्कर्म जैसी वारदातों के साथ ही दहेज हत्या, दहेज उत्पीडऩ, घरेलू हिंसा के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। महिलाओं पर होने वाले उत्पीडऩ पर अंकुश लगाने के लिए एसएसपी कार्यालय में महिला हेल्प लाइन का गठन किया गया है। जहां पर हर साल आने वाली 1000 से अधिक पारिवारिक विवादों का काउंसलिंग और एच्छिक ब्यूरो की बैठक के जरिए निस्तारण किया जाता है। चौंकाने वाली बात ये है कि बीते पांच सालों से महिला उत्पीडऩ के साथ ही महिला हेल्प लाइन पर पुरुष उत्पीडऩ की शिकायतें भी आने लगी हैं।
ससुरालियों व पत्नियों से तंग आए
पुलिस आंकड़ों की बात करें तो पांच साल में महिला हेल्प लाइन पर पारिवारिक विवाद और दहेज उत्पीडऩ समेत अन्य घरेलू हिंसा की 3428 शिकायतें पहुंचीं। इसमें 721 शिकायतें पुरुषों ने अपनी पत्नी और ससुरालियों के खिलाफ की थी। जिसमें 2016 में 27 पुरुषों की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी। जो 2017 में बढ़कर 192, 2018 में 239 और 2019 में 248 तक पहुंच गई। जबकि इस साल अब तक 15 पुरुषों ने पत्नियों पर उत्पीडऩ करने का आरोप लगाते हुए महिला हेल्प लाइन में शिकायत की है।
दोनों पक्षों की काउंसलिंग कर सुलझाया जाता है विवाद
बरिंदरजीत सिंह, एसएसपी, यूएसनगर ने बताया कि पारिवारिक विवादों के निस्तारण के लिए महिला हेल्प लाइन का गठन किया गया है। इसमें हर साल आने वाले वादों का निस्तारण किया जाता है। कुछ मामलों में केस भी दर्ज कराए जाते हैं। महिला हेल्प लाइन पर पुरुषों की भी शिकायत आ रही है, उनकी शिकायतों पर भी दोनों पक्षों के बीच काउंसलिंग की जाती है।
समाज नहीं स्वीकार करता पुरुषों पर शिकायतें
पिछले कुछ दिनों से ऐसे मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है, जिसमें पुरुषों को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है और पुरुषों को इस बात को लेकर मलाल है कि उनकी इन शिकायतों का न तो कहीं निपटारा हो रहा है और न ही समाज उनकी इन शिकायतों को स्वीकार कर रहा है। घरेलू हिंसा के शिकार होने वाले पुरुषों के लिए काम करने वाली संस्था 'सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन' जैसी संस्थायें पुरुषों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए ही बनी हैं।
आजिज आकर आत्महत्या तक कर ले रहे लोग
घरेलू हिंसा से परेशान होकर कई बार पुरुष बेबसी में आत्महत्या जैसा कदम उठाने को भी मजबूर हो जाते हैं। वहीं महिलाओं के पास कानून का सहारा है, जिसका दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। इस बात को अब स्वीकार भी किया जा रहा है। छोटे शहरों में घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों को अपनी शिकायत रखने के लिए कोई मौका तक नहीं मिलता है।
सुप्रीम कोर्ट तक कर चुका है टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों की स्थिति को समझते हुए कहा टिप्पणी की थी कि महिलाएं दहेज विरोधी कानून का दुरुपयोग कर रही हैं और सरकार को इस कानून पर एक बार फिर नजर डालने की जरूरत है। धारा 498 [ए] के दुरुपयोग की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर यह बात की गई थी। इसमें यह भी निर्देश दिया गया कि पुरुषों की प्राथमिकी भी दर्ज की जाए।
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