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    Uttarakhand में प्रोफेसरों के बढ़े पैमाने पर तबादले के आसार, कॉलेजों में मची खलबली

    नैनीताल के कॉलेजों में प्रोफेसरों के बड़े पैमाने पर तबादले की आशंका है जिससे कॉलेज प्रशासन में व्यवस्था बिगड़ने का डर है। पांच साल से जमे 500 से ज़्यादा प्रोफेसरों को स्थानांतरित करने की चर्चा है। पंचायत चुनाव के कारण तबादला प्रक्रिया रुकी हुई है। छात्र और शिक्षक दोनों ही इस फैसले से चिंतित हैं क्योंकि इससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो सकते हैं।

    By sumit joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 05 Jul 2025 04:29 PM (IST)
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    उच्च शिक्षा स्तर पर 500 से अधिक प्राध्यापकों का स्थानांतरण होने की चर्चाएं.Concept Photo

    जासं, हल्द्वानी। उच्च शिक्षा में इस बार प्रोफेसरों के बढ़े पैमाने पर तबादला होने के आसार हैं। विभागीय स्तर पर हुए मंथन के बाद पांच वर्ष से एक ही स्थान पर तैनात प्राध्यापकों को इधर से उधर करने की चर्चाएं हैं।

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    ऐसे में 500 से अधिक लोगों के स्थानांतरण की जद में आने की संभावना है। इससे शिक्षकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। वहीं, कालेज प्रशासन व्यवस्था लड़खड़ाने के डर से चिंतित हैं। हालांकि, पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने की वजह से फिलहाल तबादले कार्यवाही रुकी हुई है।

    प्रदेश में 119 राजकीय महाविद्यालय हैं। जिनमें 38 स्नातकोत्तर और 81 स्नातक स्तरीय कालेज हैं। यहां 1700 से अधिक नियमित प्राध्यापक कार्यरत हैं। जानकारी के अनुसार महाविद्यालयों में पिछले सत्र तक प्रतिवर्ष 200 से 250 शिक्षकों के स्थानांतरण होते थे। ट्रांसफर एक्ट के अनुसार सुगम में चार और दुर्गम में तीन वर्ष सेवा देने वालों से आवेदन मांगे जाते हैं। लेकिन अधिकतर आठ से अधिक वर्ष से जमे प्राध्यापकों का नंबर आता था।

    सूत्रों के अनुसार विभागीय उच्च अधिकारी नया प्रयोग करते हुए एक्ट के अनुसार ही तबादला करने की योजना बना रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी सहित प्रदेश के अन्य अधिक छात्र संख्या वाले महाविद्यालयों के आधे से ज्यादा प्रोफेसर इधर से उधर हो सकते हैं।

    काफी संख्या में पूर्व से तैनात शिक्षकों के स्थानांतरण से कालेजों में प्रवेश और परीक्षा संबंधित कार्य प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही शिक्षकों के पीएचडी स्कालर, शोध परियोजनाएं, विकास संबंधित कामों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, अंतिम निर्णय होने के बाद ही स्थितियां स्पष्ट होगी।

    विद्यार्थी बोले :

    प्रशासनिक और अकादमिक व्यवस्था के अंतर को समझते हुए स्थानांतरण किए जाने चाहिए। कालेजों से आधे से अधिक शिक्षकों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा तो कई व्यवस्थाएं प्रभावित होंगी।- सूरज रमोला, निवर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष

    स्थानांतरण सिस्टम का हिस्सा है, लेकिन उच्च शिक्षा स्तर पर प्राध्यापकों के पास शिक्षण के साथ ही शोध की जिम्मेदारी भी होती है। ऐसे में सभी पहलुओं को देखते हुए ही आगामी ट्रांसफर हों। - आर्यन बेलवाल, बीए पांचवां सेमेस्टर

    स्थानांतरण नीति के अनुसार पात्र प्राध्यापकों से आवेदन लिए गए थे। अब तबादलों को लेकर निर्णय शासन स्तर से लिया जाना है। साथ ही अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है। - प्रो. केके पांडे, निदेशक, उच्च शिक्षा