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Uttarakhand Weather Update: पिथौरागढ़ में भारी बाारिश से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में गिरा मलबा, 9 मार्ग बंद

उत्तराखंड में मौसम के अचानक बदल जाने से तापमान में भी गिरावट आ चुकी है। सायं चार बजे के बाद से पूरे जिले में तेज वर्षा जारी है। नगर में पानी सड़कों पर बह रहा है। सड़कों पर मलबा आने से जिले में नौ सड़कें बाधित हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 06:42 PM (IST)
Uttarakhand Weather Update: पिथौरागढ़ में भारी बाारिश से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में गिरा मलबा, 9 मार्ग बंद
मौसम को देखते हुए रात तक कुछ अन्य मार्गो के भी बंद होने के आसार बन रहे हैं।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : Kailash Mansarovar Yatra route closed बीते कुछ दिनों तक  मौसम सामान्य रहने के बाद शुक्रवार से फिर बदल चुका है। मध्य हिमालय से लेकर उच्च हिमालय तक झमाझम वर्षा हो रही है।

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वर्षा के वेग को देखते हुए आपदाग्रस्त क्षेत्रों में  दहशत बनी है। घटियाबगड़ के पास मलबा आने से कैलास मानसरोवर यानि तवाघाट-लिपुलेख मार्ग बंद हो गया है।

जिले में एक सीमा मार्ग सहित नौ मार्ग बंद है। मौसम को देखते हुए रात तक कुछ अन्य मार्गो के भी बंद होने के आसार बन रहे हैं।

शुक्रवार सुबह से ही आसमान बादलों से घिरा था। सुबह नौ बजे के आसपास से मुनस्यारी सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तेज वर्षा होने लगी। जिला मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में दोपहर बाद हल्की बूंदाबांदी हुई।

वहीं मौसम के चलते सांतू आंठू महोत्सव के कार्यक्रम भी प्रभावित हुए हैं। सायं तक किसी प्रमुख मार्ग के बंद होने की सूचना नहीं है,परंतु थल -मुनस्यारी मार्ग में नया बस्ती, टनकपुर-तवाघाट मार्ग में एलधार के पास स्थिति नाजुक बनी है। कभी भी इन दो स्थानों पर मार्ग बंद होने के आसार बने हैं।

जिले के बंद मार्ग 

तवाघाट- लिपुलेख ,बांसबगड़ -कोटा पंद्रहपाला,बांसबगड़ -धामीगांव, मदकोट-दारमा, मदकोट- तौमिक ,छिरकिला -जम्कू, बौगाड़ - बाराइजर, जौलजीबी- कौली कन्याल, नौलडा़ ।

आपदा की दृष्टि से अगस्त माह संवेदनशील

मानसून काल में सीमांत जिले के इतिहास में अगस्त माह सबसे अधिक  संवेदनशील माना जाता है। स्थानीय जानकार बताते हैं कि अगस्त माह तक हुई बारिश से  भूमि पूरी तरह गीली हो जाती है और धूप खिलने से भूमि में दरारें पड़ जाती है, तब बारिश होने पर भूमि के दरकने का सिलसिला जारी हो जाता है।

 विगत दशकों में जिले की सबसे बड़ा मालपा हादसा व मुनस्यारी का ला झेकला हादसा अगस्त माह में ही हुए थे।


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