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Valentine's Day : सिनेमा, संगीत और साहित्‍य के "आशिक" के साथ मिलिए हल्‍द्वानी के "रहबर" से

वैलेंटाइन डे पर नैनीताल जिले में मोहब्‍बत बिखेरने वाले उन नौजवानों की बात जो अपने फन से कला-संस्‍कृति से लोगों को जोड़ने और उसे समृद्ध करने का माहौल बना रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 12:30 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 12:30 PM (IST)
Valentine's Day : सिनेमा, संगीत और साहित्‍य के "आशिक" के साथ मिलिए हल्‍द्वानी के "रहबर" से
Valentine's Day : सिनेमा, संगीत और साहित्‍य के "आशिक" के साथ मिलिए हल्‍द्वानी के "रहबर" से

हल्‍द्वानी, स्‍कंद शुक्‍ल : मोहब्‍बत किसी दिन का मोहताज नहीं लेकिन रस्‍म-ओ-रिवाज भी जरूरी है। अच्‍छी रवायतें जिंदगी को खूबसूरत बनाती हैं और समाज को बेहतर। तो आज वैलेंटाइन डे पर नैनीताल जिले में मोहब्‍बत बिखेरने वाले उन नौजवानों की बात होगी, जो अपने फन से कला-संस्‍कृति से लोगों को जोड़ने और उसे समृद्ध करने का माहौल बना रहे हैं। हल्‍द्वानी के कुछ ऐसे युवा हैं, जिन्‍होंनें सोशल मीडिया का क्‍या खूबसूरत इस्‍तेमाल किया है। फेसबुक पर फिल्‍मों समेत तमाम सामयिक विषयों पर टिप्‍पणियां लिखने के साथ यू ट्यूब पर किताबों की समीक्षा के नए प्रयोग ने उन्‍हें अलग पहचान दिलाई है। एक ऐसा ही नाम है मनीष पांडेय। मनीष के लेखन, आवाज और जेहन में इतनी खूबसरती है कि उनका मिजाज ही "आशिक" का हो गया है। उनके चाहने वाले उन्‍हें अब "आशिक" नाम से ही जानते हैं। उनका फेसबुक प्रोफाइल भी आशिक नाम से ही है।

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बीटेक के बाद सिनेमा, संगीत और साहित्‍य से कर लिया इश्‍क

आशिक़ ने अपना एजुकेशन अपने बर्थ प्‍लेस यानी हल्द्वानी से ही पूरी की । इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकॉम इंजीनियरिंग ब्रांच से बीटेक करने के बाद इंजीनियरिंग में मन न रमा। बचपन से ही संगीत, कला, साहित्य, सिनेमा की तरफ़ रुझान के कारण इसी दिशा में बढ़ चले। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान प्रेम हुआ और तय किया कि प्रेम के इजहार का ज़रिया साहित्य, संगीत और सिनेमा होगा। इसी सोच के साथ देश के विभिन्न अख़बारों, वेबसाइट, पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन शुरू किया। फ़िल्मों और पुस्तकों में रुचि होने के कारण वीडियो और प्रिंट माध्यम के ज़रिए फ़िल्म और पुस्तक समीक्षाएं शुरू कीं। फ़िलहाल सोशल मीडिया और यू ट्यूब पर बतौर सिंगर और स्वतंत्र फ़िल्म पत्रकार के तौर पर सक्रिय हैं।

संस्‍थाओं के साथ जुड़कर आयोजनों के बने साझीदार

आशिक का कहना है कि हल्द्वानी शहर में बहुत प्रतिभा है लेकिन माहौल की कमी के कारण निखर नहीं पा रही हैं। जब मैंने देखा कि हल्द्वानी में " तामीर " " रहबर " और " छपाक " जैसी संस्थाएं शहर में सांस्कृतिक, रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं तो मैंने तय किया इनके प्रयासों में साझीदार बनूंगा। हम सभी ने मिलकर पिछले आठ नौ महीनों में हल्द्वानी में कला, साहित्य का एक माहौल बनाने की कोशिश की। अब युवाओं के पास मंच है जहां वे बेबाकी से अपनी बात कर सकते हैं। इसके साथ उन्हें आधुनिक तकनीक के साथ ऑडियो, वीडियो, फ़ोटो माध्यम में काम करने का मौक़ा मिल रहा है। अब हम जैसे युवाओं के हुनर को हजारों लोग देख रहे हैं।

रहबर की इस टीम ने शहर में घोली मोहब्‍बत की मिठास

"रहबर " न सिर्फ़ युवाओं को मंच दे रही है बल्कि यह सुनिश्चित कर रही है कि कार्यकम के हर पक्ष को स्तरीय बनाया जाए। संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में देश, प्रदेश के प्रतिष्ठित कवि, कवियित्री शामिल होते रहते हैं। साथ ही रहबर संस्था उत्तराखंड प्रदेश और विशेष रूप से हल्द्वानी शहर में प्रेरणादायक कार्य करने वाले लोगों का डिजिटल वीडियो इंटरव्यू लेती है। जिसे काफी पसंद किया जा रहा है। रहबर की स्थापना अक्टूबर 2019 में  रेडियो स्टेशन कुमाऊं वाणी मुक्तेश्वर के रेडियो जॉकी दीपांशु कुंवर ने की। इस टीम में शहर के प्रसिद्ध फ़ोटो ग्राफर प्रशांत सिंह भोजक, युवा साउंड इंजीनियर संजय बिष्ट, युवा साइकिलिस्ट और फ़ोटो ग्राफर पारस साहनी, युवा कवि तालिब ख़ान, मयंक कुमार, मंथन रस्तोगी, देवेश पांडेय, युवा कवियित्री पूजा रजवार, शिखा पांडेय आदि शामिल हैं। रहबर संस्था की कोशिश है कि शहर के युवा मंच पर आएं और अपनी प्रतिभा दिखाएं। जिससे प्रदेश से पलायन कम हो और युवाओं में आत्म विश्वास बढ़े।

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