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    Manglesh Dabral passed away: ताउम्र महादेवी सृजनपीठ से जुड़े रहे डबराल, अधिकांश रचनाओं के केन्द्र में है पहाड़

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:28 AM (IST)

    Manglesh Dabral passed away कवि मंगलेश डबराल के निधन से हिंदी साहित्य को बड़ा नुकसान हुआ है। कुमाऊं विवि के महादेवी सृजन पीठ की प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्य कवि डबराल ने 24 मार्च को पीठ में होने वाले महादेवी स्मृति व्याख्यान देने की सहमति प्रदान की थी।

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    Manglesh Dabral passed away: ताउम्र महादेवी सृजनपीठ से जुड़े रहे डबराल, अधिकांश रचनाओं के केन्द्र में है पहाड़

    नैनीताल, किशोर जोशी : साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और समकालीन हिंदी के संवेदनशील व प्रभावशाली कवि मंगलेश डबराल के निधन से हिंदी साहित्य को बड़ा नुकसान हुआ है। कुमाऊं विवि के महादेवी सृजन पीठ की प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्य कवि डबराल ने 24 मार्च को पीठ में होने वाले महादेवी स्मृति व्याख्यान देने की सहमति प्रदान की थी। वह ताउम्र पीठ से आत्मीय रूप से जुड़े रहे और पीठ के विकास के लिए गंभीर प्रयास किए।

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    पीठ कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर उनका कार्यकाल 21 अप्रैल 2021 तक था। 2017-18 में उन्हें सदस्य बनाया गया था। डबराल महादेवी साहित्य संग्रहालय के दौर से भी जुड़े रहे और 2006 में कुमाऊं विवि के अधीन आने के बाद उनका जुड़ाव अधिक बढ़ता गया। प्रसिद्ध साहित्यकार डा. लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही बताते हैं कि नब्बे के दशक में जब उत्तराखंड के साहित्यकार की किताब लिखी गई थी जो आज भी एमए के पाठ्यक्रम में शामिल है, इस किताब में बटरोही ने ही कवि डबराल के साथ ही लीलाधर जगूड़ी, चंद्रकुंवर बर्थवाल, शैलेश मटियानी, मनोहर श्याम जोशी, तारादत्त पांडेय की रचनाओं को शामिल किया था।

     

    गढ़वाल विवि के पाठ्यक्रम में जब वह बोर्ड आफ स्टडीज के सदस्य थे, तब उनकी रचनाओं को शामिल किया गया था। इसके अलावा देश के अनेक विश्वविद्यालय में उनकी रचनाएं पढ़ाई जाती हैं। बटरोही के अनुसार, कवि डबराल उनसे एक साल छोटे थे। उनका जन्म 1947 में हुआ था। उनकी प्रसिद्ध रचना में कविता संग्रह पहाड़ पर लालटेन थी। वह जनसत्ता के फीचर संपादक, अमृत बाजार पत्रिका के संपादक रहे। उन्होंने गद्य की रचनाएं भी की हैं।

     

    हिंदी के प्रतिनिधि कवि थे डबराल

    साहित्यकार डा. बटरोही बताते हैं कि कवि डबराल हिंदी के प्रतिनिधि कवि के रूप में अनेक देशों में गए थे। उनकी अधिकांश रचनाएं पहाड़ के जनजीवन पर आधारित हैं। बटरोही कहते हैं कि डबराल में लेखन की अपार संभावना थी। अभी वह उम्र के इस मोड़ पर थे, जब वास्तविक लेखन लिखा जाता है, मगर महामारी ने उन्हें लील लिया। यह उत्तराखंड के साथ ही देश दुनिया के हिंदी जगत की अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।

     

    इसलिए पूर्व सीएम रावत से मिले थे

    पीठ के शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत के अनुसार पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में महादेवी सृजन पीठ की विकास योजनाओं के सिलसिले में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिले थे। मार्च 2018 में वह पीठ में महादेवी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में आये और साहित्यकार मृदुला गर्ग के व्याख्यान की अध्यक्षता की। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी, प्रो. अजय रावत, प्रो. शेखर पाठक, प्रो. नीरजा टंडन, प्रो. मानवेंद्र पाठक आदि ने कवि डबराल के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है।

     

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