Navratri 2022: न्याय की देवी है मां चंडिका, मां नंदा के कहने पर हरदेव छोड़ पहुंंची थीं रामगंगा, यहीं बना मंदिर
Navratri 2022 मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा माहात्म्य में इनके कृत्यों एवं स्वरूपों का वर्णन किया गया है। चंडिका मां के दरबार में जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पहुंचता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। इस स्थान पर माता की असीम कृपा भक्तजनों पर बनी रहती है।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़। Navratri 2022: जनपद के उत्तर दिशा में रामगंगा घाटी में स्थित मां चंडिका को न्याय की देवी भी कहा जाता है। चंडिका को दुर्गा का ही अन्यतम रूप माना जाता है। मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा माहात्म्य में इनके कृत्यों एवं स्वरूपों का वर्णन किया गया है। चंडिका मां के दरबार में जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पहुंचता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
मंदिर पहुंच मार्ग
पिथौरागढ़-थल मोटर मार्ग से सुवालेख से होकर वाहन से सीधे मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा बुंगाछीना, छेड़ा, रसैपाटा से भी कुछ किमी पैदल चलकर मंदिर पहुंचा जा सकता है।
वास्तुकला
चंडिका घाट में पूर्व समय में एक छोटा सा मंदिर था। वर्ष 1960-70 के आसपास भक्तजनों ने मंदिर का जीर्णोद्धार कर माता चंडिका मंदिर को भव्यता प्रदान करते हुए एक धर्मशाला का निर्माण करवाया। इस स्थान पर माता की असीम कृपा भक्तजनों पर बनी रहती है।
इतिहास
कहा जाता है कि करीब आठ सौ साल पहले मां चंडिका का मंदिर बुंगाछीना के हरदेव में था। इसी के निकट मां महानंदा देवी का मंदिर है। मां चंडिका और महानंदा देवी बहनें हैं। चंडिका के मांसाहार प्रवृत्ति के चलते मां नंदा ने उन्हें यह स्थान छोड़ने को कहा। जिसके बाद चंडिका उस स्थान को छोड़कर बहते हुए रामगंगा पहुंचीं, जहां वर्तमान में चंडिका घाट मंदिर है। बताया जाता है कि उस समय गांव वालों ने मां चंडिका की मूर्ति को नदी से निकालकर एक साफ-सुथरे स्थान पर रख दिया था। जिसके बाद वह मूर्ति उस स्थान से नहीं हिलाई जा सकी। देवी ने गांव के रहने वाले शख्स को सपने में दर्शन दिए और कहा कि वह अब इसी स्थान पर रहेंगी, तब से मां चंडिका देवी यहीं विराजमान हैं।
चंडिका घाट मंदिर में वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़-भाड़ लगी रहती है। चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि में मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर तक सड़क पहुंचने से यात्रा सुगम हो गई है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खाने, ठहरने समेत सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- चंद्र सिंह बिष्ट, पुजारी।