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    Janata curfew : फैक्ट्रियों और वाहनों के ठप रहने से प्रदूषण का स्‍तर भी कम हुआ

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 22 Mar 2020 04:37 PM (IST)

    जनता कर्फ्यू की वजह से शहर पूरी तरह बंद था। बात अगर प्रदूषण की करें तो रविवार को हल्द्वानी व आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण की दर सौ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से भी नीचे पहुंच गई

    Janata curfew : फैक्ट्रियों और वाहनों के ठप रहने से प्रदूषण का स्‍तर भी कम हुआ

    ल्द्वानी, जेएनएन : जनता कर्फ्यू की वजह से शहर पूरी तरह बंद रहा। ऐसे में फैक्ट्रिंयाें के धुएं और वाहनों के शोर-शराबे से भी लोगों को राहत मिली। उम्‍मीद जताई जा रही है कि रविवार को हल्द्वानी व आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण की दर सौ माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से भी नीचे पहुंच गई होगी। हवा के लिहाज से 100 की मात्रा को बेहतर समझा जाता है। हालांकि, फाइनल आंकड़ा जांच रिपोर्ट पूरी होने के बाद मिलेगा, क्योंकि हल्द्वानी में ऑनलाइन की बजाय मैन्युल मशीनों से काम किया जाता है।

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    फैक्ट्रियां व वाहन प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह

    वायु व ध्वनि प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह फैक्ट्रियों को माना जाता है। शहर व ग्रामीण क्षेत्र के कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं है। मोटाहल्दू में छोटा सा इंडस्ट्री एरिया है। हालांकि गाडिय़ों की संख्या ज्यादा होने के कारण प्रदूषण बढऩे का बड़ा कारण इन्हें माना जाता है। एआरटीओ संदीप वर्मा के मुताबिक आरटीओ दफ्तर में छोटे-बड़े मिलाकर करीब तीन लाख वाहन रजिस्टर्ड है।

    प्रदूषण का आंकड़ा घटने की पूरी उम्‍मीद

    रविवार को जनता कफ्र्यू के बीच ऑटो, खनन वाहन से लेकर छोटे-बड़े वाहन भी सड़कों पर नहीं चले। केवल इमरजेंसी ड्यूटी की वजह से ही लोग घरों से निकले। पुराने आंकड़ों के मुताबिक 17 मार्च को 119.7 और 20 मार्च को वायु प्रदूषण की दर 116.4 थी। वीकएंड यानी शनिवार व रविवार को यह और बढ़ता है। मगर सड़कों पर नजर आने वाली गाडिय़ों के थमने से आंकड़ा 100 के अंदर ही सिमटने की पूरी उम्मीद है।

    सबसे ज्यादा दीवाली की रात

    पीसीबी हफ्ते में दो दिन वायु प्रदूषण चेक करती है। दीवाली के दौरान लगातार 14 दिन मशीन का संचालन कर लैब से डाटा निकाला जाता है। पिछले साल सबसे ज्यादा प्रदूषण दीवाली की रात 217.7 था। वहीं आरके चतुर्वेदी, प्रबंधक पीसीबी ने बताया कि बगैर टेस्टिंग के फाइनल आंकड़ा पता करने में दिक्कत है। हालांकि वाहनों के सड़क पर नजर नहीं आने की वजह से निश्चित तौर पर वायु प्रदूषण का स्तर काफी गिरा होगा।

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