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    उत्तराखंड में टाइगर शांत, तेंदुए खूंखार, दाेनों के श‍िकार प्रत‍िशत में जमीन-आसमान का अंतर

    उत्तराखंड के बाघ शर्मीले और शांत भी हैं जबकि तेंदुए काफी खूंखार। यह हम नहीं बल्कि आंकड़े कहते हैं।

    By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 03 Sep 2020 12:28 PM (IST)
    उत्तराखंड में टाइगर शांत, तेंदुए खूंखार, दाेनों के श‍िकार प्रत‍िशत में जमीन-आसमान का अंतर

    हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड बाघों को बचाने के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है। यहां के जंगलों में 442 बाघ मौजूद है। इससे ज्यादा संख्या मध्य प्रदेश (526) और कर्नाटक (524) के पास हैं। जंगल के राजा बाघ का नाम सुनते ही लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं। इंसान छोडि़ए, बड़े-बड़े जानवर तक को चंद सेकेंड में बाघ धाराशाही कर सकता है। मगर खास बात यह है कि उत्तराखंड के बाघ शर्मीले और शांत भी हैं जबकि तेंदुए काफी खूंखार। यह हम नहीं बल्कि आंकड़े कहते हैं। राज्य गठन से लेकर अब नवंबर 2019 तक तेंदुए ने प्रदेश में 402 लोगों को मौत के घाट उतारा। जबकि बाघ ने 46 लोगों की जान ली। बाघ से ज्यादा हमले तो भालू ने किए। बेहद कम नजर आने वाला भालू 54 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है।

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    बाघों के सुरक्षित आशियाने को लेकर देश भर में प्रदेश की चर्चा होती है। कार्बेट व राजाजी के अलावा फॉरेस्ट डिवीजनों ने भी इनके संरक्षण में शानदार काम किया। जिसके चलते वेस्टर्न सर्किल के तहत आने वाली पांच डिवीजनों को बाघ मित्र अवार्ड के साथ एनटीसीए ने सम्मान राशि भी दी। बाघ गणना के आंकड़े जारी होने पर हर साल यहां संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, आंकड़े बताते हैं है कि इस बीच सांप के काटने से 114, हाथी के हमले से 168 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

     

    2006 से 2018 तक 189 गुलदार नरभक्षी

    वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2006 से 2018 के बीच प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर इंसानी पर हमले करने वाले 189 गुलदार नरभक्षी घोषित किए गए। जबकि इस अवधि में आदमखोर बाघों की संख्या 18 रही।

     

    गुलदार, हाथी और सांप का आबादी कनेक्शन

    बाघ का जंगल में अपना एक इलाका होता है। जहां गुलदार के साथ-साथ वह दूसरे बाघ की मौजूदगी भी पसंद नहीं करता। जबकि गुलदार आबादी के किनारे आमूमन नजर आता है। खेतों के बीच में बच्चों तक को जन्म देने लगा है। वहीं, शिकार की तलाश में वह मवेशियों से लेकर बच्चों व महिलाओं तक को निशाना बनाने में नहीं चुकता। वहीं, जंगल से सटे आबादी वाले इलाकों में फसल के लालच में हाथियों का झुंड भी हमेशा दस्तक देता है। इसके अलावा बारिश का सीजन शुरू होते ही सांप गांव से लेकर शहरी कॉलोनियों तक में घुस रहे हैं।

     

    साल 2001 से 2019 तक का आंकड़ा

    वन्यजीव हमले में जान गंवाई

    गुलदार       402

    हाथी          168

    बाघ            46

    भालू           54

    सर्पदंश       114

    अन्य हमले   27

     

    2018 में गुलदार ज्यादा बिगड़ा

    आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में प्रदेश में सबसे ज्यादा 27 गुलदार आदमखोर घोषित हुए। 2009 में सबसे ज्यादा चार बाघ इंसानों के दुश्मन बनने की वजह से नरभक्षी की श्रेणी में आए। खास बात यह है कि 2001 से 2018 के बीच कोई ऐसा साल नहीं रहा जब प्रदेश में गुलदार आदमखोर न हुए हो।