Solar Eclipse: भारत में नहीं दिखेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, दिल्ली के आसमान में दिखी रोशनी का रहस्य बरकरार
Solar Eclipse आज रात होने वाला साल का अंतिम आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका जैसे देशों में दिखाई देगा। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहण रात 11 बजे शुरू होकर सुबह 333 बजे खत्म होगा। वर्ष 2029 तक भारत से कोई भी सूर्य ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा।

जागरण संवादाता, नैनीताल। रविवार रात लगने जा रहा आंशिक सूर्य ग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। रात में होने जा रही इस खगोलीय घटना को भारत से नहीं देखा जा सकेगा।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण रात लगभग 11 बजे लगना शुरू होगा। 4:33 घंटे अवधि वाला यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो सुबह 3:33 बजे समाप्त होगा। यह सूर्य ग्रहण आस्ट्रेलिया के दक्षिणी भाग, न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर व अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा।
विज्ञानी अध्ययन के लिहाज से आंशिक सूर्य ग्रहण का महत्व नहीं है। यद्यपि इससे ग्रहण के पूर्वानुमान की पुष्टि हो जाती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का मौका विज्ञानियों को मिलता है।
वर्ष 2026 का पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी को लगेगा और दूसरा 12 अगस्त को लगेगा, जो भारत में नहीं दिखाई देंगे। जबकि दो अगस्त 2027 को लगने वाला ग्रहण भारतीय समयानुसार देर शाम लगेगा, जिसके दिखाई देने की संभावना कम ही रहेगी। ऐसे में 2029 तक भारत से कोई भी सूर्य ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा।
दिल्ली एनसीआर के आसमान में दिखी रोशनी का रहस्य बरकरार
नैनीताल : दिल्ली एनसीआर में शु्क्रवार देर रात आसमान में उल्का पिंड अथवा सैटेलाइट से उत्पन्न हुई रोशनी के रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है। एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि चंद सेकेंड के लिए दिल्ली एनसीआर में उत्पन्न रोशनी की चर्चा इंटरनेट पर पूरे दिन रही और लोग रोशनी को लेकर कयास लगाते रहे। यह घटना आधी रात के बाद हुई। इस घटना की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
यह घटना खगोलीय भी हो सकती है और कृत्रिम सेटेलाइट के कचरे की भी हो सकती है। इस तरह की घटना में अंतरिक्ष में उल्का पिंड या किसी छोटे आकार का क्षुद्रग्रह हमारे आसमान के वातावरण से टकराकर जल उठता है और जलकर नष्ट हो जाता है। इसके अलावा पृथ्वी के आर्बिट में भेजे गए सेटेलाइट के निष्क्रिय हो जाने के बाद टुकड़े पृथ्वी के वातावरण से टकराने के बाद फायर बाल की घटना संभव होती है। अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। विज्ञानी घटना की विवेचना कर रहे हैं। आसमान में होने वाली इस तरह की घटनाओं का कई स्पेस एजेंसियां नजर रखती हैं।
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