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अल्‍मोड़ा में संगीत प्रेमियों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन भातखंडे कॉलेज में स्‍टाफ व सुविधाएं नहीं

सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में संगीत प्रेमियों को संगीत के सुरों का ज्ञान देने के लिए कवायदें तो तमाम की गई लेकिन कोई भी कवायद रंग नहीं ला पाई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 10:42 AM (IST)
अल्‍मोड़ा में संगीत प्रेमियों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन भातखंडे कॉलेज में स्‍टाफ व सुविधाएं नहीं
अल्‍मोड़ा में संगीत प्रेमियों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन भातखंडे कॉलेज में स्‍टाफ व सुविधाएं नहीं

अल्मोड़ा, अनिल सनवाल : सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में संगीत प्रेमियों को संगीत के सुरों का ज्ञान देने के लिए कवायदें तो तमाम की गईं, लेकिन कोई भी कवायद रंग नहीं ला पाई। हालत यह है कि संगीत प्रेमियों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन उन्हें इस विधा में पारंगत करने के लिए संसाधनों का अभाव उन्हें आज भी साल रहा है।

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संगीत की विभिन्न विधाओं को आगे बढ़ाने के लिए यहां 1989 में भातखंडे संगीत महाविद्यालय की शुरुआत की गई। शुरू में जिला पंचायत के कमरे किराए पर लेकर धारानौला में इस महाविद्यालय का संचालन किया गया। उस दौर में यहां गायन, सितार और कत्थक की कक्षाएं चलाई जाती थीं और संगीत के बड़े घरानों के लोग यहां आकर लोगों को संगीत की शिक्षा देते थे। संगीत महाविद्यालय खुलने के बाद लोगों की संगीत के प्रति रुचि बढऩे लगी। लंबी मांग के बाद 2007 में महाविद्यालय का अपना भवन जाखन देवी में बना और संस्थान को यहां शिफ्ट कर दिया गया। संगीत प्रेमियों को उम्मीद थी कि भवन बनने के बाद यहां संसाधन बढ़ेंगे, लेकिन पिछले बारह सालों में इस महाविद्यालय की दशा सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई। वर्तमान में यहां 163 बच्चे संगीत की शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन गायन, कत्थक, सितार और भरतनाट्यम के यहां पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं। संगीत की शिक्षा ले रहे बच्चों के लिए रखे गए वाद्य यंत्र तबला, हारमोनियम, सितार, तानपुरा की हालत भी काफी खराब है। ऐसा नहीं है कि महाविद्यालय की बिगड़ती हालत के बारे में आला अधिकारियों को जानकारी नहीं है लेकिन इसके बाद भी संगीत के इस मंदिर की किसी ने सुध नहीं ली।

प्रवक्ताओं को लाने पड़ते हैं वाद्य यंत्र

नगर के जाखन देवी में चल रहे भातखंडे संगीत महाविद्यालय में अव्यवस्थाओं का अंबार है। हालत इतनी खराब है कि कई बार शिक्षकों को बच्चों की परीक्षा के लिए वाद्य यंत्र भी अपने घरों से लेकर आने पड़ते हैं। फिर भी संस्कृति विभाग के अधिकारी महाविद्यालय की सुध नहीं ले रहे हैं।

संविदा व पीआरडी के सहारे चल रहा काम

संगीत महाविद्यालय में सृजित पदों के अनुरूप प्रवक्ता न होने के कारण अब संविदा और पीआरडी के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों से छात्र छात्राओं को संगीत की शिक्षा दी जा रही है। जैसे तैसे चल रहे इस महाविद्यालय की समस्याओं को दूर करने की मांग लंबे समय से अभिभावकों द्वारा की जाती रही है, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

भातखंडे संगीत महाविद्यालय में प्रवक्ताओं की कमी

बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति विभाग, उत्तराखंड ने बताया कि भातखंडे संगीत महाविद्यालय में प्रवक्ताओं की कमी है। इस संबंध में लोक सेवा आयोग से वार्ता की जा रही है। नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होते ही यहां पारंगत शिक्षकों को तैनात किया जाएगा। जहां तक वाद्य यंत्रों का सवाल है प्रस्ताव मिलते ही महाविद्यालय को उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

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