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    कुमाऊंनी बोली में कम्यूनिटी रेडियो ने उठाया जल, जंगल और जमीन का मसला, लाखों श्रोता जुडे़

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 12 Nov 2020 12:24 PM (IST)

    कुमाऊं वाणी मुक्तेश्वर मंडल का पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन है। खास बात यह है कि इसके रेडियो जॉकी प्रसारण के समय कुमाउँनी में ही बातचीत करते हैं। कुमा ...और पढ़ें

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    कुमाऊंनी बोली में कम्यूनिटी रेडियो ने उठाया जल, जंगल और जमीन का मसला, लाखों श्रोता जुडे़

    भवाली, जेएनएन : कुमाऊं वाणी मुक्तेश्वर, मंडल का पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन है। खास बात यह है कि इसके रेडियो जॉकी प्रसारण के समय कुमाउँनी में ही बातचीत करते हैं। कुमाऊंनी बोली के कारण यह रेडियो स्टेशन विभिन्न जिलों के सैकड़ों गांवों में अपनी पहचान बना चुका है।10 वर्षों में तीन लाख से अधिक श्रोताओं को खुद से जोड़ चुका है।

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    टेरी संस्था (ऊर्जा संसाधन संस्थान) द्वारा 11 मार्च 2010 को मुक्तेश्वर के सूपी गाँव में कुमाऊँ वाणी रेडियो स्टेशन की स्थापना की। इसका प्रसारण कुमाऊंनी बोली में होता है। प्रारंभ में यह केवल एक ही घण्टे के लिए चलाया जाता था। लेकिन अब यह रोजाना सुबह आठ बजे से एक बजे तक संचालित होता है। जिसमें श्रोताओं के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इस रेडियो स्टेशन का उद्देश्य सूचना और जानकारी की मदद से कुमाऊं के पहाड़ी समुदाय को विकास के पथ पर अग्रसर करना है।

     

    रेडियो स्टेशन में स्थानीय युवा ही हर काम करते हैं। यहां पांच स्थानीय निवासी कार्य करते हैं। जिन्हें संस्था द्वारा ही प्रशिक्षण दिया गया है। कुमाऊँवाणी के लिए युवा गांव-गांव जाकर लोगों से मिलकर बातचीत कर कार्यक्रम तैयार करते हैं। हर वर्ग को ध्यान में रखकर कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं। वहीं कृषि, पर्यावरण, शिक्षा,रोजगार आदि से सम्बंधित कार्यक्रमों में विशेषज्ञों को जोड़ा जाता है।

     

    अपने स्थापना दिवस से अब तक 10 वर्षों के अंतराल में कुमाऊँ वाणी ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। 10 वर्षों में कुमाऊं वाणी रेडियो स्टेशन ने नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर, चम्पावत के 500 से अधिक गाँवों तक अपनी आवाज को पहुँचाया है। वहीं तीन लाख से अधिक श्रोताओं को अपने साथ जोड़ा है। कुमाऊं वाणी को एफएम 90.4 मेगाहर्ट्ज़ पर सुना जा सकता है, इसका अपना ही एक स्लोगन है, ‘आपुण रेडियो आपुण बात’। अपने इसी स्लोगन से यह आज युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं का सुख-दुःख का साथी बना हुआ है।

     

    रेडियो प्रबंधक मोहन कार्की ने बताया कि ‘जल, जंगल, जमीन को लेकर लोगों को जागरूक करना, कुमाऊं की संस्कृति को आगे बढ़ाना और श्रोताओं की समस्याओं को सम्बंधित विभागों तक पहुँचाना लक्ष्य है। शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, कृषि पर कार्यक्रम बनाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। रेडियो के श्रोताओं द्वारा टेलीफोन, एसएमएस, फेसबुक, पत्र आदि के माध्यम से अपनी बात हम तक पहुंचाई जाती है। जिससे लोकप्रिय कार्यक्रम तैयार करना आसान हो जाता है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से अबतक हमसे 3तीन लाख श्रोता जुड़ चुके हैं।

     

    रेडियो के प्रमुख कार्यक्रम

    सोमवार को कला, संस्कृति, किस्सा कहानी और पहेली- आरजे हरीश बिष्ट, हेमा मेहता।

    मंगलवार को रेडियो सफर, जब चले शहर की ओर-आरजे बहादुर सिंह, सुरेंद्र डंगवाल।

    बुधवार को , खेती-बाड़ी, बाजार लाये बौछार- तारा सिंह, जितेंद्र सिंह।

    गुरुवार को महकता आँचल व स्वास्थ्य- आरजे कविता सिंह, नारायण सिंह।

    शुक्रवार को शिक्षा- आरजे मोहन सिंह, हेमा मेहता।

    शनिवार को फरमाइश, शिक्षा-आरजे बहादुर सिंह

    रविवार को मुद्दा आधारित, एक मुलाकात, फूल आन निक्की- आरजे मोहन सिंह, माया बिष्ट।