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    Navratri 2022 : मनोकामना पूरी करती हैं कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा, इन्हीं के नाम पर पड़ा हिमालय की पर्वत चोटी का नाम

    By JagranEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Mon, 26 Sep 2022 10:24 PM (IST)

    Navratri 2022 मंदिर की वास्तुकला व स्थापत्य कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मंदिर के स्तंभ भी विशेष शैली में बनाए गए हैं। नवरात्र के पारायण मौके पर हवन आदि से विश्व कल्याण की कामना की जाती है। मंदिर में भादौ माह में प्रतिवर्ष नंदादेवी का मेला लगता है।

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    Navratri 2022 : शारदीय नवरात्र में लोग यहां दूरदराज के क्षेत्रों से पूजा अर्चना को पहुंचते हैं।

    जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : Navratri 2022 : नंदा देवी कुमाऊं की कुलदेवी मानी जाती हैं। हर कुमाऊं वासी के मन में उनकी आस्था अगाध है। अल्मोड़ा स्थित नंदा देवी मंदिर इसी आस्था का परिचायक है। मां नंदा देवी आदिशक्ति मां पार्वती का ही रूप हैं और आनंद की देवी मानी जाती हैं।

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    1638 से 1678 के मध्य हुआ मंदिर का निर्माण

    अल्मोड़ा स्थित ऐतिहासिक नंदा देवी मंदिर की स्थापना राजा बाजबहादुर चंद ने 1638 से 1678 के मध्य की। इसे पहले मल्ला महल वर्तमान कलक्ट्रेट में स्थापित किया गया। बाद में तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर ट्रेल ने इसे वर्तमान स्थान में स्थापित कर दिया। शारदीय नवरात्र में लोग यहां दूरदराज के क्षेत्रों से पूजा अर्चना को पहुंचते हैं। मां भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है।

    अद्भुत है मंदिर की वास्तुकला

    नंदा देवी मंदिर की वास्तुकला व स्थापत्य कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसकी प्रस्तर कला व प्रवेश द्वार व रोशनी के लिए बनी खिड़कियां देखने योग्य हैं। मंदिर के स्तंभ भी विशेष शैली में बनाए गए हैं।

    मंदिर के नाम से ही हैं पर्वत श्रृंखलाएं

    इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां बासंतिक व शारदीय नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त से पूजा का क्रम शुरू होता है जो देर सायं तक निर्बाध रूप से जारी रहता है। नवरात्र के पारायण मौके पर हवन आदि से विश्व कल्याण की कामना की जाती है। मंदिर में भादौ माह में प्रतिवर्ष नंदादेवी का मेला लगता है। जिसमें उत्तराखंड ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मां नंदा के नाम से ही हिमालय सहित अनेक पर्वत श्रृंखलाओं का नाम नंदादेवी रखा गया है।

    मंदिर तक ऐसे पहुंचे

    हल्द्वानी से सीधे अल्मोड़ा बस स्टेशन उतरकर एलआर रोड पर 100 मीटर आगे जाने के बाद दाएं मुड़कर इस एतिहासिक मंदिर के दर्शन आसानी से किए जा सकते हैं।

    आश्विन मास के शारदीय नवरात्र के लिए मंदिर को सुरूचिपूर्ण ढंग से सजाया गया है। इस मंदिर में देश के विभिन्न प्रांतों से भक्त पहुंचते हैं। साथ ही सुख, संपन्नता व निरोगी काया की कामना करते हैं। मंदिर के दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए सभी तैयारियां की गई हैं।

    - पं. तारा दत्त जोशी, मंदिर पुजारी