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Happy Doctor's Day 2021 : गरीबी से लड़कर कुलपति बनने तक का सफर है प्रेरणास्‍पद, जानिए डा. हेम चंद्र के संघर्ष की कहानी

Happy Doctors Day 2021 रामलीला में लक्ष्मण के पात्र का अभिनय करने से मिली प्रेरणा ने गांव के एक गरीब बालक की सफल चिकित्सक बनने की कहानी लिख दी। द्वाराहाट के बयाला सदीगांव निवासी हेम चंद्र ने गांव से ही हाईस्कूल तक की पढ़ाई की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 01 Jul 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 01 Jul 2021 08:50 AM (IST)
Happy Doctor's Day 2021 : गरीबी से लड़कर कुलपति बनने तक का सफर है प्रेरणास्‍पद, जानिए डा. हेम चंद्र के संघर्ष की कहानी
Doctors Day 2021 : गरीबी से लड़कर कुलपति बनने तक का सफर है प्रेरणास्‍पद, जानिए डा. हेम के बारे में

प्रमोद पांडे, हल्द्वानी : Happy Doctor's Day 2021 : रामलीला में लक्ष्मण के पात्र का अभिनय करने से मिली प्रेरणा ने गांव के एक गरीब बालक की सफल चिकित्सक बनने की कहानी लिख दी। द्वाराहाट के बयाला सदीगांव निवासी हेम चंद्र ने गांव से ही हाईस्कूल तक की पढ़ाई की। रामलीला में लक्ष्मण का किरदार निभाने के दौरान मेघनाद के हाथों मूर्छित होने पर सुषेन वैद्य से बचाए जाने के प्रसंग को हेम ने जीवन में उतारना शुरू किया। हेम जब डेढ़ साल के थे तो पिता का निधन हो गया। बेहद गरीबी के बावजूद उन्होंने चिकित्सा सेवा क्षेत्र में ही जाने का संकल्प लिया और सपने को पूरा भी कर दिखाया। आज हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में डा. हेम चंद्र अपनी योग्यता से देश-विदेश में नाम कमा रहे हैं।

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हेम 1970 में मिशन इंटर कालेज द्वाराहाट से हाईस्कूल उत्तीर्ण करने बाद अपने अधिवक्ता भाई प्रमोद पांडे के पास लखनऊ चले गए। यहीं से इंटर की पढ़ाई करते हुए सीपीएमटी क्वालिफाइ कर 1982 में केजीएमसी (अब केजीएमयू) से एमबीबीएस की डिग्री ली। डिग्री के बाद शुरुआत के तीन वर्ष अंडमान निकोबार में सेना के अस्पताल में बतौर मेजर सेवाएं दी। फिर दो साल बरेली व शाहजहांपुर में तैनात रहे। तब से पीजीआइ लखनऊ में बतौर अस्पताल प्रशासन विभागाध्यक्ष व चिकित्सा अधीक्षक रहे।

सितंबर 2018 में कुलपति बनने के बाद डीजी स्वास्थ्य उत्तराखंड ने उन्हें कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर की रोकथाम व प्रबंधन के लिए राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का अध्यक्ष नामित किया है। डा. हेम ने विवि में पहली बार पीएचडी कोर्स भी शुरू कराया है। इस सत्र से मास्टर इन हास्पिटल एडमिनिस्टे्रशन (एमएचए) भी शुरू कर रहे हैं। डा. हेम कहते हैं कि गांव के अभावग्रस्त जीवन से आगे निकलना इतना आसान नहीं था। बावजूद इसके शुरुआत से ही एक संकल्प था कि चिकित्सक बनकर पब्लिक की सेवा करनी है। लक्ष्य यही है कि सेवा का यह कर्म जारी रहे।

इस सम्‍मान से सम्‍मानित देश के पहले चिकित्‍सक

प्रो. केएन अग्रवाल, पूर्व निदेशक, संजय गांधी पीजीआइ, लखनऊ ने बताया कि प्रो. हेम चंद्र ऐसे कुशल अस्पताल प्रशासक, शिक्षाविद व शोधकर्ता हैं, जो कुलपति के प्रतिष्ठित पद तक पहुंचे हैं। साथ ही रॉयल कालेज ऑफ फिजिशियन (एफआरसीपी ग्लास्गो व एडिन यूके) फेलो से सम्मानित हैं। फेलो ऑफ आल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन व फैलो ऑफ एकेडमी ऑफ हास्पिटल एडिमिनिस्टे्रशन का गौरव हासिल करने वाले वह देश के पहले चिकित्सक हैं।

हॉस्पिटल में बढा दी बेडों की संख्‍या

प्रो. एके महापात्रा, पूर्व निदेशक संजयगांधी पीजीआइ, लखनऊ का कहना है कि एम्स नई दिल्ली से एमएचए की डिग्री लेने के बाद डा. हेम ने एसजीपीजीआइ लखनऊ के सुपरस्पेसलिस्ट चिकित्सा के बेडों को 25 से बढ़ाकर 1200 तक पहुंचाया। सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही मरीजों को सस्ता व उच्च गुणवत्ता का उपचार दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। अस्पताल की विकट समस्या कूड़ा-कचरा को निष्पादित कर उससे धनार्जन करने में भी डा. हेम चंद्र को महारत हासिल है।


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