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    अब उत्‍तराखंड में ही तैयार हो रही की कीवी की नर्सरी, गुणवत्‍ता भी बाहरी राज्‍यों से बेहतर

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 09 Apr 2021 06:00 AM (IST)

    हिमाचल समेत अन्‍य पर्वतीय राज्‍यों से मंगाई जाने वाली कीवी की नर्सरी अब उत्‍तराखंड में ही तैयार होने लगी है। इन पौधों की गुणवत्‍ता भी बाहरी राज्‍यों से बेहतर है। उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी (ऊधम सिंह नगर) ने टिश्यू कल्चर लैब में कीवी के पौधे तैयार कर लिए हैं।

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    अब उत्‍तराखंड में ही तैयार हो रही की पौधों की नर्सरी, गुणवत्‍ता भी बाहरी राज्‍यों से बेहतर

    जागरण संवाददाता, पंतनगर : हिमाचल समेत अन्‍य पर्वतीय राज्‍यों से मंगाई जाने वाली कीवी पौध की नर्सरी अब उत्‍तराखंड में ही तैयार होने लगी है। इन पौधों की गुणवत्‍ता भी बाहरी राज्‍यों से बेहतर है। उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी (ऊधम सिंह नगर) ने टिश्यू कल्चर लैब में कीवी के पौधे तैयार कर लिए हैं। कुमाऊं में इनका वितरण भी शुरू हो गया है। गढ़वाल मंडल में भी पौधों का वितरण किया जा सके इसके लिए उद्यान विभाग की उत्तरकाशी में बनी टिश्यू कल्चर लैब के कर्मचारियों को परिषद स्थित लैब में पौधे तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

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    कीवी फल में अत्यधिक पोषक तत्व होते हैं, जो इम्युनिटी क्षमता बढ़ाने में ज्यादा सक्षम है। यही नहीं बाजार में इसकी कीमत अन्य फलों से ज्यादा और मांग भी अधिक है। उत्तराखंड में कीवी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। अभी तक राज्य में जलवायु के हिसाब से बाहर से कीवी के पौधे क्रय किए जाते थे। किसानों को कीवी के पौधों के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती थी। ऐसे में जो पौधे मिलते थे, उसी को खरीद कर लगा देते थे। विक्रेता भी इसका फायदा उठा लेते थे। इसका असर पौधों की बढ़वार के साथ गुणवत्तायुक्त फल व उत्पादन पर भी पड़ता था। 

    हल्दी स्थित टिश्यू कल्चर लैब में कीवी के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। करीब एक साल पहले कुमाऊं में करीब दो सौ पौधे वितरित किए जा चुके हैं, जिनकी बढ़वार अच्छी दिख रही है। उत्तरकाशी के ग्राम नतेला में उद्यान विभाग की टिश्यू कल्चर लैब है, जो कई साल से निष्क्रिय है। इसे सक्रिय करने के लिए वहां की लैब के कर्मचारियों को 10 दिन का हल्दी लैब में प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे कर्मचारी टिश्यू कल्चर के पौधे तैयार कर गढ़वाल मंडल में किसानों को उपलब्ध करा सकें। इससे न केवल आसानी से पौधे उपलब्ध हो जाएंगे, बल्कि कीवी का उत्पादन भी अधिक होगा, जो किसानों की दोगुनी आय में इजाफा होने में सहायक होगा।

    राज्य जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी के वैज्ञानिक अधिकारी डा. सुमित पुरोहित ने बताया कि लैब में प्लांट तैयार किया जाता है। इनमें सबसे अधिक पोषक तत्व वाले पौधों का चयन कर तैयार करते हैं। जबकि सामान्य तरीके से खुले में दो पौधों की ग्राफ्टिंग कर अच्छी प्रजाति की पौध तैयार किया जाता है। टिश्यू कल्चर लैब में तैयार पौधे कुमाऊं में वितरित किए गए हैं। 

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