रोजगार की तलाश में पहाड़ चढ़ रहे कश्मीरी युवा, जंगलों में कटान को कराया सत्यापन nainital news
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बनी तनाव की स्थिति अब खत्म हो चुकी है। ऐसे में आम कश्मीरी रोजगार की तलाश में फिर से बाहर निकलने लगे हैं।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बनी तनाव की स्थिति अब खत्म हो चुकी है। ऐसे में आम कश्मीरी रोजगार की तलाश में फिर से बाहर निकलने लगे हैं। नैनीताल जिले ओखलकांडा व आसपास के जंगलों में कुछ कश्मीरी युवक लकड़ी कटान व चिरान के लिए पहुंचे हैं। रविवार को ठेकेदार के साथ कोतवाली पहुंचे तीन कश्मीरियों ने अपना सत्यापन भी कराया। इन्हें पहाड़ में नजदीकी थाने या चौकी में भी एक बार वेरीफिकेशन कराना होगा। इससे पुलिस व एलआइयू के पास पूरा डाटा रहेगा।
हल्द्वानी व पहाड़ में हर साल जाड़े के मौसम में कश्मीरी मूल के लोगों का आना शुरू हो जाता है। शॉल व गर्म कपड़ों के साथ ये मसाले बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। पुलिस व खुफिया एजेंसी इनका पूरा डाटा रखती है। संख्या व लोकेशन पता होने पर इनकी सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतने में भी आसानी होती है। रविवार को ठेकेदार के साथ कोतवाली पहुंचे कश्मीरी डोडा जिले के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि दो-तीन दिन उन्होंने नैनीताल के पास मंगोली नामक जगह पर काम किया है। अब दूसरी जगह कटान का काम करेंगे। हबलाल नामक युवक के मुताबिक, करीब 150 लोग यहां कटान को पहुंचेंगे। सत्यापन के बाद कोतवाली पुलिस ने इन्हें नजदीकी पुलिस स्टेशन पर भी आइडी व जानकारी दर्ज कराने को कहा।
हिमाचल व नेपाल से भी आते हैं लोग
वन निगम के आरएम जेसी पंत ने बताया कि कटान को लेकर हिमाचल के अलावा नेपाल से भी श्रमिक आते थे। अब ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम लागू हो चुका है, जिसके लिए आधार कार्ड जरूरी है। ऐसे में नेपाली श्रमिकों का आना बंद हो चुका है।
जिले में 42 कश्मीरी छात्र
वर्तमान में हल्द्वानी के अलावा जनपद के अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में कश्मीरी मूल के करीब 42 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। पुलिस के पास इन सबका नाम-पता व पूरा रिकॉर्ड है। छात्रों के अलावा रोजगार की तलाश में पहुंचने वाले कश्मीरियों को किसी तरह की दिक्कत या परेशानी तो नहीं, इसे लेकर भी खुफिया एजेंसी अलर्ट रहती हैं। एसएसपी सुनील कुमार मीणा ने बताया कि शिक्षण संस्थानों में पढऩे वाले कश्मीरियों का पूरा डाटा है। इसके अलावा रोजगार की तलाश में आने वाले लोगों का रिकॉर्ड भी रहता है। जो नए कश्मीरी आ रहे हैं, उनका भी डाटा जुटाया जा रहा है।
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