Kasar Devi Temple : चुंबकीय शक्ति का केंद्र है कसार देवी, देश-विदेश के पर्यटक यहां करते हैं साधना
kasar devi temple magnetic field कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।

अल्मोड़ा, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित कसारदेवी मंदिर (Kasar Devi Temple ) को शक्तिपीठ की मान्यता है। कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश-विदेश से कई पर्यटक आते हैं। कसार देवी मंदिर परिसर में जीपीएस आठ प्वाइंट है। यह स्थान नासा ने चयन किया है। यह मंदिर अद्भुत चुंबकीय शक्ति (magnetic field) लिए हुए है।
मंदिर का इतिहास
कसार देवी मंदिर दूसरी शताब्दी का है। बागेश्वर हाईवे पर कसार नामक गांव में स्थित ये मंदिर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बना हुआ है। कहा जाता है कि जो भी मन्नत मांगी जाए, वह पूरी होती है। कात्यायनी रूप में देवी सबसे पहले अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर में ही प्रकट हुई थी। इसलिए इस मंदिर में नवदुर्गा के छठवें रूप कात्यायनी देवी की कसार देवी मंदिर में पूजा की जाती है। यहां आने वाले को ना सिर्फ प्रकृति की खूबसूरती देखने को मिलती है, बल्कि मानसिक शांति की भी अनुभूति होती है। स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए थे। यह क्रैंक रिज के लिए भी जाना जाता है। जहां 1960-70 के दशक के हिप्पी आन्दोलन में बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
मंदिर की विशेषता
कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है, जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। पिछले तीन साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं। वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता लगा रहे हैं कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है। अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरु में स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में समानताएं हैं।
इन तीन धर्मस्थलों में अद्भुत समानताएं
दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं जिन पर वैज्ञानिक भी शोध कर रहे हैं। इनमें दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग और अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी शक्तिपीठ शामिल है। इन तीनों धर्म स्थलों पर हजारों साल पहले सभ्यताएं बसी थीं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इन तीन जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर चुके हैं।
मंदिर निर्माण शैली
मंदिर वर्तमान समय के मंदिरों के डिजाइन के अनुसार ही निर्मित किया गया है। घने जंगलों के बीच बसे इस मंदिर का समय-समय पर जीर्णाेद्धार किया जाता रहा है। गुफा में होने के कारण बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। कसार देवी के पुजारी हेम चंद्र जोशी ने बताया कि मंदिर में नवरात्रों में विशेष पूजा अर्चना होती है। इस जगह दूर-दराज से लोग यहां पहुंचते है।
ऐसे पहुंचे
दिल्ली से हल्द्वानी तक ट्रेन और बस के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। हल्द्वानी से बस व टैक्सी के माध्यम से 100 किमी दूर अल्मोड़ा पहुंचा जाता है। अल्मोड़ा मुख्यालय से 10 किमी दूर कसारदेवी मंदिर है। यहां जाने के लिए टैक्सियों का प्रयोग करना पड़ता है।
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