पशुप्रेम में कर दी जीवन की खुशियां कुर्बान
पशुप्रेम में कामिनी कश्यप ने अपनी सारी खुशियां बेजुबानों के लिए समर्पित की।
अल्मोड़ा, ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ल : पशुप्रेम में कामिनी कश्यप ने अपनी सारी खुशियां जहां कुर्बान कर दिया। वहीं अपना संसार न बसाने का फैसला कर समाज के भी तानों को दरकिनार कर एक मिसाल कायम की। वर्षो की तपस्या का फल यह है कि आज शहर में यदि कहीं आवारा गाय, भैंस या कुत्ते घायल हो जाएं तो लोग इन्हें सूचना देते हैं। यह इनके अंदर की ममता ही है जो सभी को अपने घर में समेट लेती हैं। सुबह घर से निकलने के बाद शाम को जब वह कोर्ट से घर आती हैं तो यह पशु अपने प्रेम का प्रदर्शन ऐसे करते हैं जैसे इनके खुद के बच्चे हों। इनके प्रेम का असर यह है कि यह बिना इनको खिलाए खाना नहीं खातीं। तो इनकी पीड़ा देखकर सामने वाले से भी दो-दो हाथ करने में नहीं कतरातीं हैं। हम बात कर रहे हैं शहर अल्मोड़ा की एक मात्र पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप की। जिनको राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर पशुप्रेम को देखते हुए पुरस्कृत भी किया जा चुका है। यह पीपल्स फॉर एनीमल संस्था व राष्ट्रीय गोसेवा समिति की सदस्य भी हैं।
कामिनी कश्यप ने बताया कि वर्ष 1986 से वह पशुओं के लिए काम कर रही हैं। सड़क पर घायल होकर तड़प रहे पशुओं को देखकर इनके मन में प्रेम उमड़ पड़ता है। कई बार वह शासन व प्रशासन से इसके लिए टकरा चुकी हैं। लेकिन जीत हर बार इनकी ही हुई। उनका ही प्रयास रहा कि जिले के किसी भाग में व शहर में अब तक स्लाटर हाउस नहीं संचालित किया जा सका। इस पशुप्रेम के शगल में कामिनी कश्यप ने अपनी ¨जदगी का सबसे कठिन फैसला लिया। उन्होंने विवाह नहीं किया और खुद अपनी बहन के बेटों व बहुओं के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रह रही हैं। इस पशुसेवा में पूरा परिवार उनका तन्मयता के साथ साथ देता है। वह पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य भी 2005 में रह चुकी हैं। उनकी बहन के बेटों महेश व बृजेश के साथ बहुएं पशुओं के खाने से लेकर सोने तक का इंतजाम करती हैं। वह खुद एडवोकेट हैं जो समय कोर्ट से बचता है वह सारा दिन अपने घर में पाले गए कम से आधा सैकड़ा कुत्ते, 13 भैंस,32 गाय, एक बकरा और एक बैल भी पाल रखा है। दो कुत्ते ऐसे भी हैं जिनकी पीछे की दो टांगे कट जाने के बाद वह अपने घर लाईं। अभी दो दिन पहले ही रेस्क्यू सेंटर में संदिग्ध तौर पर मौत के मुंह में गए पांच बंदरों का मामला सामने आया। वह तत्काल मौके पर पहुंची और विभागीय अधिकारियों से बंदरों को तत्काल रिहा करने के लिए कहा। यह मिल चुके अवार्ड एडवोकेट कामिनी कश्यप को इनकी पशुओं के प्रति प्रेम की भावना व सेवा को देखते हुए राज्य सरकार की तरफ से एनीमल वेलफेयर अवार्ड के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है। वह 9 बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी कर चुकी हैं। इस बार भी वह अंतिम दल के यात्रियों में जाने के लिए तैयार हैं। वहां पर भी वह घोड़ों व खच्चरों के लिए एंटीबायटिक दवाएं, टीके लगाने के लिए ले जाती हैं। उनका कहना था कि घर के बगल में जहां पर जानवरों को पाल रखा है। वहां पर एक अत्याधुनिक सुविधाओं वाला पशुघर बनाने के लिए वह प्रयास कर रही हैं। इसका प्रपोजल शासन को भेजा जा चुका है। कामिनी ने बताया कि जो भी वह कमाकर लाती हैं वह पशुसेवा में ही जाता है। किसी प्रकार का राज्य व केंद्र से सहायता नहीं मिली है। पशुप्रेम में वह इतना भाव विह्वल हो जाी हैं कि संसार की सारी खुशियां उनके आगे बौनी दिखती हैं। उनका मानना है कि पशु सिर्फ प्रेम की भाषा समझता है। करीब डेढ़ कुंतल से अधिक वजन का बकरा जिसका नाम भूषण हैं वह शाम होते ही अपने स्थान पर बिस्तर पर आकर सोता है। सभी जानवरों के नीचे बिस्तर लगा रखा है। समय-समय पर इंजेक्शन, दवाएं व खाने का ध्यान परिजन रखते हैं।